पिता थे ड्राइवर, न पैसे थे और न सपने, फाइनल हारे लेकिन इस खिलाड़ी ने जीते करोड़ों दिल
पूनम ने लाजवाब पारी खेली लेकिन मैच के अंतिम क्षणों में उनके आउट होने के बाद बाकी भारतीय बल्लेबाज उस पारी का फायदा नहीं उठा सके।
शिवम् अवस्थी, नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। बेशक रविवार रात महिला विश्व कप जीतने का भारत का सपना टूट गया लेकिन भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इस फाइनल मैच व पूरे टूर्नामेंट में करोडों दिल जरूर जीते। इस टीम में कई ऐसी खिलाड़ी मौजूद थीं जिनकी कहानी हौसले से भरी है। उन्हीं में एक 27 वर्षीय ओपनर पूनम राउत भी हैं जिन्होंने रविवार को अपनी पारी से दिल जीता। अफसोस अंत में बाकी खिलाड़ी उनकी पारी का फायदा नहीं उठा सके।
- फाइनल में लाजवाब पारी
विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड ने भारत को 229 रनों का लक्ष्य दिया था। भारतीय टीम ने 43 रन पर अपने दो अहम विकेट (ओपनर स्मृति मंधाना और कप्तान मिताली राज) गंवा दिए थे। ऐसे अहम समय पर ओपनर पूनम राउत ने मोर्चा संभाला। उन्होंने सेमीफाइनल में 171 रनों की एतिहासिक पारी खेलने वाली हरमनप्रीत कौर (51) के साथ धीरे-धीरे पारी को आगे बढ़ाया। हरमन ने तो अपना धुआंधार अंदाज जारी रखा लेकिन पूनम ने मौके की नजाकत को देखते हुए अपना अंदाज संयमित ही रखा। हरमनप्रीत और पूनम के बीच तीसरे विकेट के लिए 95 रनों की साझेदारी हुई जिसने एक बार फिर मैच भारत की तरफ मोड़ दिया। हरमन तो आउट हो गईं लेकिन पूनम का धमाल जारी रहा। इसके बाद उन्होंने वेदा कृष्णमूर्ति के साथ चौथे विकेट के लिए भी 53 रनों की पारी को अंजाम दिया। पूनम 43वें ओवर में आउट जरूर हो गईं लेकिन आउट होने से पहले उन्होंने 115 गेंदों पर 86 रनों की ऐसी पारी खेली जिसने करोड़ों दिल जीत लिए। उन्होंने इस दौरान चार चौके और एक छक्का जड़ा। हालांकि अंत में भारतीय बल्लेबाजी क्रम ऐसा लड़खड़ाया कि 48.4 ओवर में 219 रन पर ही टीम सिमट गई और 9 रनों से मैच गंवा दिया।
- पिता-बेटी ने किया संघर्ष, मेहनत लाई रंग
पूनम के पिता मुंबई में एक निजी कंपनी में ड्राइवर की नौकरी करते हैं। एक समय था जब मुंबई के प्रभादेवी में उनका परिवार एक चॉल में रहता था। उस समय पूनम क्रिकेट खेलना चाहती थी लेकिन पैसों के आभाव को देखते हुए उन्होंने कभी बड़े सपने नहीं देखे। हालांकि उनके पिता जो कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे, वो अपनी बेटी को निराश नहीं देख पा रहे थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक आज से तकरीबन 18 साल पहले पूनम के पिता जिनके लिए काम करते थे उन्होंने तकरीबन दस हजार रुपये दिए और इससे उन्होंने अपनी बेटी के लिए क्रिकेट के लिए जरूरी सामान खरीदा और पूनम का दाखिला क्रिकेट अकादमी में कराया। पूनम ने जमकर मेहनत की, मुंबई अंडर-14 से लेकर मुंबई अंडर-19 तक का सफर तय किया और 2009 में पहली बार भारतीय वनडे टीम में जगह हासिल की। मई 2015 में तब पूरी दुनिया में पूनम की चर्चा होने लगी जब दक्षिण अफ्रीका में खेलते हुए आयरलैंड के खिलाफ वनडे मैच में उन्होंने अपना पहला शतक (116 गेंदों में 109 रन) जड़ा।
- टूर्नामेंट की शुरुआत और अंत एक जैसा, ये हैं पूरे आंकड़े
पूनम राउत ने इस महिला विश्व कप में जमकर धमाल मचाया। पूनम ने टूर्नामेंट की शुरुआत भी इंग्लैंड के खिलाफ 86 रनों से की थी और अंत भी इंग्लैंड के खिलाफ इतने ही रनों की पारी के साथ हुआ। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में 106 रनों की पारी भी खेली जो उनका दूसरा वनडे शतक साबित हुआ। पूनम ने टूर्नामेंट के 9 मैचों में 42.33 की औसत से 381 रन बनाए। वो इस विश्व कप में सर्वाधिक रन बनाने के मामले में पांचवें पायदान पर रहीं जबकि मिताली राज (409) के बाद सर्वाधिक रन बनाने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी भी बनीं। महिला क्रिकेट एक्सपर्ट सुनील कालरा कहते हैं, 'पूनम की खासियत रही है कि वो समय के हिसाब से अपना खेल बदलने की क्षमता रखती हैं। एक ओपनर के तौर पर उन्होंने भारत को कई बार अच्छी शुरुआत दी है और जल्दी विकेट गिरने पर वो दूसरा छोर संभालने में भी सक्षम हैं।'
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