गौतम गंभीर को प्रैक्टिस कराते-कराते तेज गेंदबाज बन गया ये खिलाड़ी, अब ऐसे कमा रहा है नाम
गौतम गंभीर अपनी बात पर अडिग थे कि वह कप्तान के नाते इस गेंदबाज को अपनी टीम में लेना चाहते हैं।
करनाल, अश्विनी शर्मा। सच्चाई और टेलेंट कहीं भी क्यों न छुपे हुए हों, एक न एक दिन सामने आ ही जाते हैं। करनाल के एक छोटे से कस्बे तरावड़ी का एक लड़का खूब नाम कमा रहा है। इस नाम कमाने की वजह इस खिलाड़ी की काबिलियत और मेहनत का रंग लाना है। हम बात कर रहे हैं नवदीप सैनी की। नवदीप फिलहाल दिल्ली रणजी टीम का भरोसेमंद गेंदबाज है। नवदीप की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। गौतम गंभीर को प्रैक्टिस कराते-कराते वह तेज गेंदबाज बन गया। रणजी सेमीफाइनल में दिल्ली की ओर से बंगाल के सात विकेट लेकर इस करनाल एक्सप्रेस ने सनसनी फैला दी। जुनून इस कदर है कि वह गेंदों की स्पीड को बढ़ाकर 150 तक ले जाने में जुटा है।
सुमित नरवाल ने चढ़ाई पहली सीढ़ी
दिल्ली रणजी टीम और आइपीएल में राजस्थान से खेल चुके करनाल के हरफनमौला खिलाड़ी सुमित नरवाल ने पहली बार नवदीप की प्रतिभा को पहचाना। कर्ण स्टेडियम में एक टूर्नामेंट में गेंदबाजी करते हुए सुमित ने इस खिलाड़ी को देखा। वह नवदीप की गेंदबाज़ी का कायल हो गया। क्रिकेट के प्रति प्रेम के चलते सुमित इस खिलाड़ी को अपने साथ दिल्ली ले गया। यहां उसकी मुलाकात भारत के दिग्गज बल्लेबाज गौतम गंभीर से कराई। यहीं से उसका असली सफर शुरू हुआ।
जब चयन के लिए अड़ गए गौतम गंभीर
पिता अमरजीत सैनी बताते हैं कि उन्हें जरा भी आभास नहीं था कि उनका बेटा दिल्ली की ओर से रणजी ट्रॉफी खेलेगा। वर्ष 2013-14 में जब वह सुमित नरवाल के साथ दिल्ली जाने लगा तो उसकी मुलाकात गौतम गंभीर से हुई। उसे प्रैक्टिस के लिए गेंदबाजी करने के लिए बुलाया जाता था। यह मौका वह कभी नहीं छोड़ता था। प्रैक्टिस के दौरान नवदीप की गेंदों की धार और रफ्तार को गंभीर भली-भांति पहचान चुके थे। रणजी टीम के चयन के लिए दिल्ली के चयनकर्ता बैठे तो कप्तान के नाते गंभीर ने नवदीप का नाम आगे बढ़ाया। चयनकर्ताओं ने इस पर एतराज जाहिर किया कि दिल्ली से बाहर के लड़के को क्यों खिलाया जाए? लेकिन गंभीर नहीं माने। बैठक रद हो गई। दिग्गज स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने भी नवी के चयन पर एतराज जाहिर किया। इसके बाद हुई बैठक में भी बात नहीं बनी। गौतम गंभीर अपनी बात पर अडिग थे कि वह कप्तान के नाते इस गेंदबाज को अपनी टीम में लेना चाहते हैं। आखिरकार कप्तान की चली और अब नवी ने अपने चयन को पूरी तरह से सफल साबित कर दिया है।
ग्रेजुएशन की बजाए चुना क्रिकेट
23 नवंबर 1992 को जन्मे नवदीप सिंह की प्राथमिक शिक्षा तरावडी़ के ही गीता विद्या मंदिर विद्यालय में हुई। 11 वीं व 12वीं कस्बे के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से पास की। ग्रेजुएशन के लिए करनाल के दयाल सिंह कॉलेज में दाखिला लिया। सेकेंड ईयर में ऐसी परिस्थितियां बन गई कि एक रास्ता ग्रेजुएशन की ओर जा रहा था और दूसरा दिल्ली में क्रिकेट की ओर। उसने ग्रेजुएशन की बजाए क्रिकेट की ओर रुख किया। पिता अमरजीत सैनी एक रोचक किस्सा बताते हैं। नवदीप बचपन से पढऩे में होशियार रहे। शिक्षक भी उनकी कुशाग्र बुद्धि से प्रभावित थे। 10वीं कक्षा की परीक्षा देने के बाद परिणाम आया तो परिवार व उनके होश फाख्ता हो गए। क्योंकि नवदीप को परिणाम फेल बता रहा था। आखिर रि-चेकिंग कराई गई तो वह प्रथम श्रेणी से पास कर गया।
पूरा ध्यान रणजी फाइनल पर
नवदीप सैनी ने कहा कि इस समय पूरा ध्यान रणजी ट्रॉफी के फाइनल पर है। वह आइपीएल में खेलने के बारे में सोच भी नहीं रहा है। वह टीम इंडिया के साउथ अफ्रीका भी जा सकता था, लेकिन इसकी बजाए उसने फाइनल को तवज्जो दी है। वह भारतीय टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए लगातार मेहनत कर रहा है। दिल्ली की टीम को नवदीप से सेमीफाइनल जैसे प्रदर्शन की उम्मीद फाइनल में भी रहेगी। हो सकता है कि नवदीप की बदौलत10 साल बाद रणजी के फाइनल में पहुंची दिल्ली की टीम एक बार फिर से रणजी चैंपियन बन जाए।