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भारतीय मध्यक्रम के बल्लेबाजों को लेनी होगी जिम्मेदारी नहीं तो बढ़ सकती है परेशानी

भारत के मध्यक्रम के बल्लेबाजों को जिम्मेदारी लेने की जरूरत है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 04:19 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 08:57 PM (IST)
भारतीय मध्यक्रम के बल्लेबाजों को लेनी होगी जिम्मेदारी नहीं तो बढ़ सकती है परेशानी
भारतीय मध्यक्रम के बल्लेबाजों को लेनी होगी जिम्मेदारी नहीं तो बढ़ सकती है परेशानी

 नई दिल्ली, जेएनएन। वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे वनडे में मिली हार शायद भारतीय टीम की आंखें खोलने का काम करे। अब तक तो ज्यादातर मैचों में भारत के टॉप ऑर्डर से बल्लेबाज यानी शिखर धवन, रोहित शर्मा या फिर विराट कोहली अपनी बल्लेबाजी से टीम को जीत दिला देते थे, लेकिन इंडीज के खिलाफ तीसरे वनडे में रोहित व धवन नहीं चले। विराट ने शतक बनाया लेकिन बाद के बल्लेबाजों यानी मध्यक्रम ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और टीम को हार का सामना करना पड़ा। भारतीय मध्यक्रम की परेशानी कोई नई बात नहीं है खास तौर पर नंबर चार। अब नंबर चार के तौर पर अंबाती रायडू को आजमाया जा रहा है लेकिन वो भी पिछले मैच में फेल रहे और 22 रन बनाकर आउट हो गए। 

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अंबाती के बाद मैच में जीत दिलाने की जिम्मेदारी टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी धौनी पर थी जो अपने खराब फॉर्म से पार नहीं पा सके और सात रन पर आउट हो गए। रिषभ पंत अभी नए हैं और उनसे ज्यादा उम्मीद फिलहाल तो बेमानी होगी। उनके पास अनुभव कम है और ज्यादा प्रेशर वाली स्थिति झेलने की प्रवृति उनमें तभी आएगी जब उन्हें लगातार मौके मिलेंगे। तो सवाल ये उठता है कि अगर टॉप ऑर्डर फेल, मध्यक्रम में कोई जीत दिलाने वाला है नहीं तो किसके भरोसे मैच जीतेंगे। 

किसी भी टीम के शुरुआती बल्लेबाज हर मैच में चल जाएं ये जरूरी नहीं ऐसे में मध्यक्रम का मजबूत होना सबसे जरूरी है। भारतीय टीम में इस वक्त फीनिशर की भूमिका भी धौनी के हाथों में ही दिखती है। पर धौनी हैं कि उनके बल्ले से रन ही नहीं निकल रहे। तीसरे वनडे में यही देखने को मिला कि जब तक विराट क्रीज पर थे तब तक तो ऐसा लग रहा था कि टीम जीत जाएगी लेकिन उनके आउट होने के बाद विकेट जल्दी-जल्दी गिरते गए और भारत को 43 रन से हार का सामना करना पड़ा। 

इस हार के बाद सबक लेने की जरूरत इसलिए है क्योंकि अब अगले विश्व कप को लेकर सही तालमेल की तैयारी की जा रही है। शुरुआत से लेकर फीनिशर तक सभी खिलाड़ियों को अपनी जिम्मेदारी संजीदा से लेने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होगा तो टीम को वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ेगा जैसा कि तीसरे वनडे में करना पड़ा। एशिया कप के दौरान भी ऐसा देखने को मिला था कि अगर शुरुआत में धवन और रोहित फेल हो गए तो भारतीय टीम को बमुश्किल जीत मिली। भारतीय टीम व टीम मैनेजमेंट के लिए ये चिंता वाली बात होनी चाहिए कि मध्यक्रम में हमें कौन जीत दिलाने वाला है। सबसे पहले ये सोचने की जरूरत है कि अगर कोई बल्लेबाज फेल हो जाता है तो अगला कौन होगा जो जिम्मेदारी लेगा और टीम को जीत दिलाएगा। वैसे भी अगर टीम के साथ इसी तरह की समस्या बनी रही तो विश्व कप जीतने का सपना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि अब ज्यादा वक्त बचा नहीं है। 

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