Coronavirus threat: 'कोरोना वायरस' के कारण खाली हुए दुनियाभर के स्टेडियम
शुक्रवार को खेलों की दुनिया में ऐसे दिन की शुरुआत हुई जहां खेलने के लिए खिलाड़ी तो मौजूद थे लेकिन उनका समर्थन करने वाले दर्शक मौजूद नहीं थे।
निखिल शर्मा, नई दिल्ली। ऐसे हालत पहले कभी देखने को नहीं मिले थे। कोरोना वायरस ने दुनियाभर में खेल को लाचार बना दिया है। ऐसा लाचार जो चल तो रहा है, लेकिन उसकी सांसें, जीवटता और हौसला टूट सा गया है। शुक्रवार को खेलों की दुनिया में ऐसे दिन की शुरुआत हुई जहां खेलने के लिए खिलाड़ी तो मौजूद थे, लेकिन उनका समर्थन करने वाले दर्शक मौजूद नहीं थे। सही मायनों में शुक्रवार को दुनिया भर में हुए खेल गूंगे, बेजान और नीरस दिखाई दिए।
सिडनी में समर्थन के लिए सिर्फ एक स्टैच्यू:
ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर दर्शक अपनी टीम की आधी जान माने जाते हैं। स्टैंड में बैठकर वे खिलाड़ी पर छींटाकशी करके और हाथों में बीयर का गिलास लेकर विरोधी टीम के हौसले पस्त करते हैं, लेकिन शुक्रवार को अलग नजारा था। सिडनी के खाली स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला वनडे हुआ। दर्शकों के नाम पर स्टैंड में स्टीफन हेरल्ड उर्फ यब्बा का सिर्फ एक स्टैच्यू था, जो कभी अपनी एक लाइनर से कंगारू टीम का हौसला बढ़ाता था। 2008 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के प्रशंसक हेरल्ड को सम्मान देने के लिए उनका स्टैच्यू लगाया गया था। इस मैच के लिए इस स्टैच्यू को दर्शक दीर्घा में रखा गया।
जब खुद गेंद उठानी पड़ी:
ऑस्ट्रेलियाई पारी में 18वें ओवर में ईश सोढ़ी की पहली गेंद पर फच ने छक्का लगाया। दर्शकों के नहीं होने के कारण क्षेत्ररक्षक लॉकी फग्यरूसन को स्टैंड में जाकर गेंद लाने पर मजबूर होना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अमूमन ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलता है।
फुटबॉल के दीवाने देश अर्जेटीना में सन्नाटा:
कोरोना वायरस की वजह से यूरोपीय फुटबॉल पर लगभग विराम लग गया है। ला लीगा स्थगित कर दी गई है और इंग्लिश प्रीमियर लीग पर काले बादल छाए हुए हैं। वहीं फुटबॉल के लिए दीवाने डिएगो माराडोना और लियोन मेसी के देश अर्जेटीना में फुटबॉल मैच में ऐसी शांति पहले कभी देखने को नहीं मिली। कोपा लिबरटाडोज के ग्रुप मुकाबले में शुक्रवार सुबह अर्जेटीना के रेसिंग क्लब और पेरू के अलिंजा लीमा क्लब के बीच मुकाबला था। इस मैच में सिर्फ एक गोल रेसिंग क्लब के गैस्टन रेनियेरो ने किया, लेकिन गोल करने की खुशी में दर्शकों के पास पहुंचकर जश्न मनाने की कसक उनके मन में रही, क्योंकि यह स्टेडियम पूरी तरह से खाली था।
ये भी हुए बंद दरवाजे में: सौराष्ट्र की ने बंगाल को हरा शुक्रवार को इतिहास में पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता। यह उनके लिए काफी खास था कि क्योंकि उन्होंने यह खिताब अपने घर राजकोट में जीता लेकिन इस जश्न में उनके साथ उनके परिवार के सदस्य मौजूद रहे।