युवराज सिंह का छलका दर्द, कहा- करियर के चरम पर तो 'कैंसर' से जूझ रहा था, पूरी नहीं हुई हसरत
युवराज सिंह ने केविन पीटरसन से कहा कि विश्व कप जीतने के बाद एक तमन्ना मेरे मन में थी लेकिन वो पूरी नहीं हो पाई।
नई दिल्ली, जेएनएन। युवराज सिंह के लिए साल 2011 सपनों भरा था क्योंकि भारत ने 28 वर्ष के बाद वनडे विश्व कप खिताब जीता था और युवराज सिंह अपने प्रदर्शन की वजह से मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए थे। विराट को उनके ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए ये खिताब मिला था। कमाल की बात ये रही कि इस विश्व कप में विराट को प्लेयर के तौर पर टीम में मौका मिलना तक मुश्किल लग रहा था, लेकिन वो देश के लिए सबसे बड़े मैच विनर बनकर उभरे थे।
इस मेगा इवेंट के बाद जब पता चला कि युवराज को कैंसर है तो मानो उनकी दुनिया ही उलट गई थी। 2011 वर्ल्ड कप के बाद वो ज्यादा क्रिकेट नहीं खेल पाए और क्रिकेट फैंस भी उनकी बीमारी के बारे में जानकर हैरत में पड़ गए थे। हालांकि युवी ने इस घातक बीमारी को हराया और ठीक हुए। हालांकि इलाज के दौरान जिस तरह से उनका शरीर प्रभावित हुआ उससे कई लोगों को ऐसा लगा कि वो कमबैक नहीं कर पाएंगे।
युवराज सिंह ने लाइव इंस्टाग्राम सेशन में केविन पीटरसन के बात करते हुए कहा कि वो अपने करियर के गलत वक्त पर इस बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने कहा कि ये कुछ ऐसा है जिसे आप शब्दों में नहीं बता सकते। दुर्भाग्य से ये वो वक्त था जब मैं अपने क्रिकेट करियर के चरम पर था। हमने वनडे विश्व कप जीता था। सौरव गांगुली अभी रिटायर हुए थे और मैं टेस्ट क्रिकेट खेलना चाह रहा था और फिर मुझे कैंसर हो गया।
युवी ने कहा कि मैं उदास हो गया था, लेकिन अच्छी बात ये थी कि मैं युवा था। ये मेरे परिवार के लिए बड़ा दुखद वक्त था, लेकिन मेरी मां बहुत ही सपोर्टिव थीं। उन्होंने बताया कि पूर्व साइकलिस्ट लांस आर्मस्ट्रांग उनकी वापसी में सबसे बड़े प्रेरणा के श्रोत थे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि किस तरह से सबने मान लिया कि मैं मैदान पर वापसी नहीं कर पाउंगा।
हालांकि युवी ने बीमारी पर जीत हासिल की और फिर से अपनी फिटनेस हासिल करते हुए भारत के लिए साल 2017 तक खेला, लेकिन वो अपनी वापसी के बाद अपनी जगह कायम नहीं रख पाए। उन्होंने कहा कि सबने कहा कि मैं वापसी नहीं कर पाउंगा, लेकिन मैंने वापसी की। मैं टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहता था पर ऐसा नहीं हो सका।