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EXCLUSIVE: World Cup 2019 किसी की तुलना माही से नहीं हो सकती : रिद्धिमान साहा

World Cup 2019 साहा ने कहा कि माही की तुलना किसी से नहीं हो सकती।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 08:28 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 10:22 PM (IST)
EXCLUSIVE: World Cup 2019 किसी की तुलना माही से नहीं हो सकती : रिद्धिमान साहा
EXCLUSIVE: World Cup 2019 किसी की तुलना माही से नहीं हो सकती : रिद्धिमान साहा

भारत को हर आइसीसी ट्रॉफी दिलवाने वाले पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी का यह आखिरी वनडे विश्व कप है और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह इस टूर्नामेंट के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं। भारत के लिए नौ वनडे और 32 टेस्ट खेलने वाले भारतीय विकेटकीपर रिद्धिमान साहा ने उनकी जगह ले ली थी लेकिन चोटिल होने के कारण रिषभ पंत टेस्ट टीम में जगह बनाने में कामयाब हुए। रिद्धिमान अब फिट हो गए हैं और आइपीएल में भी उन्होंने भाग लिया। वह फिर से भारतीय टीम में जगह बनाना चाहते हैं लेकिन धौनी से तुलना पर कहते हैं कि माही की तुलना किसी से नहीं हो सकती। भारतीय क्रिकेट को लेकर हाल ही में अभिषेक त्रिपाठी ने रिद्धिमान साहा से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-

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-विश्व कप नहीं जाने को लेकर दिल में दुख है?

-मैंने अभी आइपीएल खेला, अगर वह नहीं खेल रहा होता तो सोचता। सपना तो हर किसी का रहता है विश्व कप खेलने का।

-धौनी से क्या सीखा है? हर विकेटकीपर उनसे क्या पा सकते हैं, क्या सीख सकते हैं?

-धौनी हर चीज में मदद करते हैं। विकेटकीपिंग पर होते हैं तो पहले समझ जाते हैं कि किस लेंथ में गेंद आ रही है। बल्लेबाजी में तो वह कमाल हैं ही हैं। लक्ष्य का पीछा करते हुए उनका औसत बेहतरीन है। वह जब बल्लेबाजी में होते हैं तो नॉन स्ट्राइकर को अच्छा महसूस कराते हैं, जो कुल मिलाकर टीम के लिए बहुत अच्छा रहता है।

-हो सकता है यह उनका आखिरी विश्व कप हो। वह संन्यास ले लें। उन्होंने बहुत आसानी से पहले टेस्ट छोड़ा, फिर सीमित ओवरों की कप्तानी छोड़ी। कितनी कमी महसूस होगी उनकी?

- उनकी जगह भरना मुश्किल होगा, लेकिन उनकी तुलना नहीं करनी चाहिए। माही भाई जैसा करते थे तो जो उनकी जगह टीम में रहेगा वो भी ऐसा करेगा, ऐसा नहीं होगा। हर किसी का अपना स्टाइल होता है। जो भी उनकी जगह रहेगा वह टीम के लिए अच्छा करेगा।

-क्या आप तीनों प्रारूप में खेलने के लिए तैयार हैं?

- मैं क्या हर खिलाड़ी हर प्रारूप में खेलने के लिए तैयार रहता है। चयनकर्ता जैसा करते हैं वैसा ही होता है। मैं भी तीनों प्रारूप में खेलना चाहता हूं।

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