IPL की हर टीम में क्यों होना चाहिए एक कैरेबियाई खिलाड़ी, सुनील गावस्कर ने बताया कारण
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और मौजूदा क्रिकेट एक्सपर्ट सुनील गावस्कर ने दैनिक जागरण को लिखे अपने कालम में कहा है कि हर एक आइपीएल टीम में कम से कम एक कैरेबियाई खिलाड़ी जरूर होना चाहिए। इसके पीछे का कारण भी उन्होंने बताया है।
सुनील गावस्कर का कालम। टोक्यो ओलिंपिक में एलेक्जेंडर ज्वेरेव की जीत और यूएस ओपन टेनिस के फाइनल में डेनियल मेदवेदेव की जीत ने मुझे यह अहसास कराया कि युवाओं ने आखिरकार रोजर फेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविक की तिकड़ी की पकड़ को कमजोर कर दिया है। इसी तरह अन्य टीमें भी पांच बार की विजेता मुंबई इंडियंस और चार बार की चैंपियन चेन्नई सुप रकिंग्स की पकड़ को हटाकर आइपीएल की ट्राफी हासिल करेंगी।
दिल्ली कैपिटल्स ने भारत में आइपीएल का पहला चरण अच्छे से खेला था और इस टीम ने पिछले तीन साल में काफी सुधार किया है और अदम्य रिषभ पंत के नेतृत्व में उनके युवा खिलाड़ी कुछ अविश्वसनीय क्रिकेट खेल रहे थे। उनकी सबसे बड़ी संपत्ति यह थी कि वे सभी युवा थे जो क्रिकेट की दुनिया में अपने लिए एक जगह बनाना चाहते थे। उनकी टीम में पहले से स्थापित सुपरस्टार नहीं थे और इसलिए वहां कोई भी बड़ा डैडी नहीं था।
वे अपने आप में लय में थे। यह तब देखा जा सकता था जब वे हंसते और मस्ती करते हुए टीम की बस से उतरते थे और आम तौर पर ऐसा लगता था कि जैसे वे क्रिकेट का मैच खेलने के बजाय पार्क में मस्ती के लिए बाहर आए हैं। जिस सुकून भरी हवा के साथ उन्होंने प्रशिक्षण और अभ्यास किया, उसे देखकर बहुत ताजगी मिली। आइपीएल की हर टीम के पास एक कैरेबियाई खिलाड़ी होना चाहिए, क्योंकि वे मस्ती का ऐसा माहौल लाते हैं कि असंभव परिस्थितियों में भी तनाव कम हो जाता है।
एक बड़ी गलत धारणा है कि कैरेबियाई द्वीपों के खिलाड़ी अपनी प्राकृतिक प्रतिभा पर भरोसा करते हैं और खेल की तकनीक पर बहुत अधिक विचार नहीं करते हैं। आपको क्लाइव लायड, विव रिचर्ड्स, माइकल होल्डिंग, एंडी राबर्ट्स जैसे वेस्टइंडीज क्रिकेट दिग्गजों से बात करने के लिए बस 15 मिनट बिताने होंगे और आप जल्द महसूस करेंगे कि वे इस खेल के बारे में कितनी गहराई से सोचते हैं और यह सिर्फ प्राकृतिक प्रतिभा नहीं है, जिस पर वे भरोसा करते हैं।
अफसोस की बात है कि वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों के मस्ती करने से लीग में कई निर्णय लेने वालों का मानना है कि वे टीम में अच्छे कोच या मेंटर नहीं बन पाएंगे। आप ड्वेन ब्रावो, कीरोन पोलार्ड, सुनील नरेन को देखिए, जिन्होंने फिर से अपनी फ्रेंचाइजी के लिए क्या किया है, जिन्होंने लीग के 14 वषरें में 11 बार खिताब जीता है।
देखिए, कैसे इस साल शिमरोन हेटमायर ने दिल्ली को लगभग फाइनल में पहुंचा दिया था और आप पाएंगे कि यह खिलाड़ी भी कैरेबियाई है और भारतीय खिलाड़ी भी हैं जो टीमों के लिए खिताब जीतते हैं। स्लेजिंग और तेजतर्रार व्यवहार आपको भले ही मर्दाना एहसास करा दे, लेकिन लंबे समय से यह कैरेबियाई स्वभाव और अनुभव ही है जिससे अधिक मैच जीत जाते हैं। अगले साल से दो नई टीमें मैदान में होंगी और उम्मीद है कि वे अपनी आंखें खोलेंगे और सही चीजें देखेंगे जो उनमें से कुछ अब देख रहे हैं।
इस बीच, जैसे टेनिस में जोकोविक, नडाल और फेडरर की तिकड़ी युवाओं के आने के बावजूद अधिकांश बड़ी जीत हासिल करती है तो वहीं, चेन्नई भी अपने अनुभव के साथ एक बार फिर से बहुत अच्छी थी और टीम ने चौथी बार खिताब जीता। चेन्नई और महेंद्र सिंह धौनी को बधाई।