दो-तीन लोगों के फैसले का खामियाजा भुगत रहा भारतीय क्रिकेट
बीसीसीआइ को भारत में होने वाले प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए अब तक स्टार इंडिया से 43 करोड़ रुपये मिलते थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। सोनी और स्टार के ई नीलामी पर सवाल उठाने को लेकर बीसीसीआइ के एक पदाधिकारी ने कहा कि सीओए और सीईओ ने नीलामी प्रक्रिया में बीसीसीआइ की आम सभा और वित्त समिति से भी बात नहीं की। दो-तीन लोगों ने फैसला कर लिया और उसका खामियाजा पूरा भारतीय क्रिकेट भुगत रहा है। इन्होंने पिछले एक साल में जमकर पैसे बांटे हैं लेकिन जब कमाई का समय आया तो इस तरह की गलतियां की जिससे हमारे दो सबसे बड़े नीलामीकर्ता ही परेशान हैं।
सोनी पिछले सत्र तक आइपीएल का प्रसारणकर्ता था। स्टार 31 मार्च तक बीसीसीआइ के मैचों का प्रसारणकर्ता है। उसने आइपीएल के पांच साल के करार लगभग 16347 करोड़ रुपये में खरीदे हैं लेकिन बोर्ड के कर्णधारों की हालिया कार्यप्रणाली बीसीसीआइ के ब्रांड को कम करने जैसी है। इन्हें ई-नीलामी की तारीखें भी पहले एक सप्ताह टालनी पड़ी थी।
पदाधिकारी ने कहा कि बीसीसीआइ को भारत में होने वाले प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए अब तक स्टार इंडिया से 43 करोड़ रुपये मिलते थे। उससे करार 31 मार्च को खत्म हो रहा है। सोनी और स्टार हमारे सबसे बड़े प्रसारणकर्ता हैं। ये बहुत ही गंभीर विषय है। मुझे लगता है कि ई-नीलामी की तारीख फिर से आगे बढ़ सकती है।
आपको बता दें कि गुरुवार को स्टार इंडिया और सोनी ने ईमेल करके ई-नीलामी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। ये दोनों ही ईमेल दैनिक जागरण के पास हैं। बीसीसीआइ को अगले चार साल के लिए 102 मैचों के प्रसारण के लिए कम से कम 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी की उम्मीद थी लेकिन अब इस पर खतरा मंडरा रहा है। दैनिक जागरण ने 21 तारीख को ही बताया था कि बीसीसीआइ की कार्यप्रणाली से बोर्ड को नुकसान हो सकता है।
हर मैच की एक कीमत कैसे
स्टार ने सीईओ और सीओए को ईमेल लिखकर बीसीसीआइ द्वारा आयोजित द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय सीरीज और बहुदेशीय टूर्नामेंट के प्रति मैच भुगतान को लेकर सवाल उठाए हैं। इसमें लिखा गया है कि ई-नीलामी में बोली लगाने वाली कंपनी को भारत का दौरा करने वाली विदेशी टीमों में अंतर किए बिना हर वर्ष होने वाले हर मैच की कीमत लगानी है। जिस मैच में भारतीय टीम शामिल नहीं होती है उसकी कमर्शियल कीमत कम होती है। स्टार ने इसके साथ ही इस ईमेल में वर्ष 2016 में हुए मैचों की टेलीविजन रेटिंग का चार्ट भी भेजा है। इसमें दिखाया गया है कि भारत में टीम इंडिया के मैचों को ज्यादा देखा गया जबकि जिस मैच में टीम इंडिया नहीं शामिल हुई उसमें दर्शकों की संख्या बेहद कम है। स्टार ने साथ ही लिखा है कि इससे बीसीसीआइ की मीडिया करार की कीमत को परखने की क्षमता पर भी दाग लग सकता है।