सुनील गावस्कर ने दी चेतावनी, कहा- जे वायरस से आइपीएल 2020 को बचाना होगा
सुनील गावस्कर ने कहा कि आइपीएल ने खुद को दुनिया में एक सबसे खास खेल आयोजन के तौर पर स्थापित किया है और यह लगतार शीर्ष 10 में रहता है।
सुनील गावस्कर का कॉलम :
दुनिया में अभी भी कोरोना वायरस फैला है, हर देश अलग रवैया और दृष्टिकोण इससे लड़ने के लिए दिखा रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड खुद जे-20 वायरस से लड़ने की तैयारी कर रहा है। यह कोविड की तरह नहीं है जो पिछले वर्ष के अंत में आया था। जे वायरस सबसे पहले 2008 में आया था तो यह जे08 कहलाया गया। इसके अगले वर्ष जे09 और यह नंबर हर वर्ष ऐसे ही बढ़ता गया।
शुक्र है यह वायरस सी मौसमी है और यह आइपीएल शुरू होने से पहले शुरू होता है और आइपीएल खत्म होने के कुछ सप्ताह बाद खत्म भी हो जाता है। यह वायरस भारतीयों के लिए तो विशेष है ही, बल्कि दूसरे देश खासकर इंग्लैंड और अन्य पिश्चमी पड़ोसी देश भी इस जे वायरस से संक्रमित होते हैं। ऐसा 70 वर्षो से चलता आ रहा है।
आइपीएल ने खुद को दुनिया में एक सबसे खास खेल आयोजन के तौर पर स्थापित किया है और यह लगतार शीर्ष 10 में रहता है। यह इससे भी उपर रह सकता है, लेकिन जे फैक्टर जिसने इसका कई बार ध्यान भंग किया है तो कई हर वर्ष बिना फेल हुए कई बार रूकावट भी पैदा की है। हर कोई शख्स चाहता है कि वह आइपीएल के जरिए पंद्रह मिनट का फेम पा ले। यह आइपीएल के खिलाफ कोई तुच्छ केस या याचिका या कोई आर्टिकल हो सकता है, लेकिन इतना पक्का है कि यह ध्यान पाने के लिए और अखबारों में कुछ जगह पाने के लिए और इलेक्ट्रोनिक मीडिया का ध्यान पाने के लिए किया जाता है। यह किसी प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा भी किया जा सकता है। कुल मिलाकर आइपीएल जे वायरस से जूझ रहे लोगों के लिए सॉफ्ट टारगेट रहा है।
यह देखकर दुख होता है कि इस जे वायरस से संक्रमित कुछ भारतीय ही इस विश्व स्तरीय प्रोडक्ट की ख्याति खराब करने में लगे रहते हैं। जबकि उन्हें पता है कि भारत में कोई दूसरा विश्व स्तरीय भारतीय प्रोडक्ट नहीं है।क्या आपने कभी किसी फुटबॉल लीग के बारे में बुरे शब्द सुने हैं? क्या कभी इंग्लैंड या स्पेन या इटली या फ्रांस या जर्मनी में किसी ने अपने देश की फुटबॉल लीग के बारे में बुरे शब्द सुने हैं, चाहे वह फुटबॉल प्रशंसक हो या ना हो। फुटबॉल लीग ही क्यों? क्योकि यह उनके देशों में सबसे ज्यादा फॉलो किया जाने वाला खेल है, जैसे कि भारत में क्रिकेट है।
वे चाहे इस खेल को पसंद नहीं करते हों, लेकिन उन्होंने कभी खेल के बारे में गलत शब्द नहीं कहे, क्योंकि वे जानते हैं कि उनसे ज्यादा उनके देश में ऐसे लोग मौजूद हैं जो खेल को पसंद करते हैं, जिससे उन्हें फायदा पहुंचता है और सबसे जरूरी बात वहां कोई जे फैक्टर नहीं है। यह विशेष देसी वायरस है। बीसीसीआइ हर वर्ष इस वायरस से लड़ती है, लेकिन सोचिए कितना अच्छा होता अगर यह वायरस हर वर्ष आइपीएल शुरू होने से पहले नहीं आता और यह आइपीएल के लिए भी बहुत अच्छा होता। जिस तरह से कोविड के समय में जिंदगी उम्मीद पर हैं। उम्मीद है उसी तरह से जल्द ही इस जे वायरस के लिए भी कोई वैक्सीन जल्द बन जाएगी।
वहीं इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट शुरू हो चुका है। वहां छह टेस्ट मैच खेले जाने हैं। इंग्लैंड ने बेहद ही अच्छे तरीके से खुद को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में अंक तालिका में अच्छे स्थान पर पहुंचाने का मौका बनाया है, जिससे की वह फाइनल में पहुंच सके। उन्होंने तीन में से दो टेस्ट जीत भी लिए हैं और तीन मैच अभी भी बाकी है। उनके पास भारत के बाद नंबर दो स्थान पर आने का बहुत अच्छा मौका भी है।
वहीं मुझे आइसीसी का दो घरेलू अंपायर और घरेलू रेफरी का नियम समझ से बाहर लगा। अगर 25 वेस्टइंडीज के क्रिकेटर और सहायक स्टाफ, 30 पाकिस्तानी क्रिकेटर इंग्लैंड में एक महीने से ज्यादा सुरक्षित माहौल में रह सकते हैं तो दूसरे देशों के अंपायर और रेफरी इस माहौल में क्यों नहीं रह सकते हैं? आप घरेलू अंपायरों के लिए गए फैसलों पर नजर डाल सकते हैं, जिसने मैच को इंग्लैंड के पक्ष में ही किया है।