सौरव गांगुली ने बताया कि लॉर्ड्स की बालकनी में क्यों उन्होंने लहराई थी अपनी टी-शर्ट
सौरव गांगुली ने टी20 प्रारूप का समर्थन किया और कहा कि मैंने इसका लुत्फ उठाया।
कोलकाता, प्रेट्र। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान व बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली ने टी20 क्रिकेट का समर्थन किया। उन्होंने ये भी कहा कि अगर वो इस दौर में खेल रहे होते तो इस प्रारूप की जरूरतों के मुताबिक अपने खेल में बदलाव भी करते। बीसीसीआइ के ट्विटर हैंडल पर भारतीय टेस्ट बल्लेबाज मयंक अग्रवाल के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि क्रिकेट का सबसे छोटा फॉर्मेट काफी अहम है। इसे खेलने के लिए मैं खुद में बदलाव करता। ये फॉर्मेट आपको खुलकर शॉट्स लगाने की आजादी देता है।
भारत के लिए 113 टेस्ट और 311 वनडे खेलने वाले गांगुली जब अपने करियर के आखिरी दौर में थे तब इस फॉर्मेट का आगाज हो रहा था और देश में इसे अपनाया जा रहा था। हालांकि आइपीएल में उन्होंने केकेआर के लिए कप्तानी की और फिर उन्हें पुणे वॉरियर्स के लिए भी खेलने का मौका मिला। गांगुली ने कहा कि मुझे टी20 क्रिकेट खेलना पसंद था हालांकि मैंने आइपीएल के पहले 5 सीजन में हिस्सा लिया था। मुझे लगता है कि मैंने इसका लुत्फ उठाया था।
मयंक से बात करते हुए गांगुली ने 2003 वनडे वर्ल्ड कप और 2002 नेटवेस्ट की जीत और लॉडर्स की बालकनी में अपनी टी-शर्ट को लहराने वाली घटना को याद किया। 2003 वनडे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया फाइनल में पहुंची थी जबकि नेटवेस्ट सीरीज में भारत ने फाइनल में इंग्लैंड को लॉर्ड्स में हराकार खिताब जीता था। गांगुली ने कहा कि ये बेहतरीन पल थे। मैं भावनाओं में बह गया था, लेकिन ये खेल का हिस्सा है। जब आप इस तरह से मैच में जीत दर्ज करते हैं तो और भी ज्यादा जश्न मनाते हैं।
नेटवेस्ट की तुलना वर्ल्ड कप फाइनल के साथ किए जाने के बारे में गांगुली ने कहा कि दोनों की अपनी जगह है। वर्ल्ड कप फाइनल भी मेरे लिए खास है हालांकि हम कंगारू टीम के बुरी तरह से हार गए थे। ऑस्ट्रेलियाई टीम उस वक्त की बेस्ट टीम थी। गांगुली ने कहा कि उस वर्ल्ड कप में हम ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर सभी टीमों से मैच जीते थे। वो कमाल का सफर था, लेकिन हम वर्ल्ड कप जीत नहीं पाए।