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9 साल बाद रिकी पोंटिंग का छलका दर्द, कहा- कप्तानी छोड़ने पर दिल बहुत दुखा था

Ricky Ponting talk about stepping down as Australia captain in 2011 पोंटिंग ने बताया कि कैसे उन्होंने कप्तानी को छोड़ने का सबसे कठिन फैसला लिया। इससे उनको काफी तकलीफ हुई थी

By Viplove KumarEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2020 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 04:45 PM (IST)
9 साल बाद रिकी पोंटिंग का छलका दर्द, कहा- कप्तानी छोड़ने पर दिल बहुत दुखा था
9 साल बाद रिकी पोंटिंग का छलका दर्द, कहा- कप्तानी छोड़ने पर दिल बहुत दुखा था

नई दिल्ली, जेएनएन। ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज कप्तान और दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में शुमार रिकी पोंटिंग ने अपनी कप्तानी छोड़ने के मुश्किल फैसले पर खुलकर बात की है। पोंटिंग ने बताया कि कैसे उन्होंने कप्तानी को छोड़ने का सबसे कठिन फैसला लिया। इससे उनको काफी तकलीफ हुई थी लेकिन यह सब ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के बेहतर भविष्य के लिए किया।

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पोंटिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने 2003 और फिर 2007 में आईसीसी विश्व कप का खिताब जीता था। 77 टेस्ट में कप्तानी करने वाले पोंटिंग ने टीम को 48 मैचों में जीत दिलाई। वहीं 228 वनडे में से ऑस्ट्रेलिया ने पोंटिंग की कप्तानी में 162 मैच जीते। 

रिकी पोंटिंग ने स्काई स्पोर्स्ट से बात करते हुए कहा, "हां बहुत दुख हुआ था, किसी भी चीज से हार मान लेने से दुख होता है। मैंने सोचा और फिर यह महसूस किया कि यह सही वक्त है ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट के लिहाज से। मैं अगले कप्तान को बड़े टूर्नामेंट से पहले काफी वक्त देना चाहता था। मैं यह पक्का कर लेना चाहता था कि माइकल क्लार्क बड़े टूर्नामेंट से पहले एक बेहतरीन कप्तान बनें और ऐसा करने के लिए उनके पास वक्त हो।"  

"यह बड़ा ही मुश्किल भरा फैसला था कि वो एशेज से लिए चुने जाएंगे या नहीं। मैने सोचा यह बिल्कुल ही सही वक्त है कि अब कप्तानी उनको सौंप दी जाए और माइकल क्लार्क को भरपूर मौका मिल सके। मैंने विश्व कप क्वार्टर फाइनल में शतक बनाया और उस वक्त तक काफी अच्छा खेल रहा था। उस वक्त कुछ लोगों की भौंवे तन गई थी जब मैंने कहा कि मुझे खेलते रहना है।" 

"मेरे उस वक्त खेलते रहने का फैसला लिया क्योंकि तभी बहुत सारे युवा खिलाड़ी टीम में खेलने आ रहे थे और मैं यह पक्का करना चाहता था कि उनके आस पास रहूं और सभी की मदद करूं। मेरा भरोसा कीजिए, मेरे लिए उस वक्त हासिल करने के लिए और कुछ भी नहीं बचा था। मैं उस वक्त टीम में सिर्फ इसलिए था क्योंकि मुझे लगा ऑस्ट्रलिया की क्रिकेट के लिए यही सबसे अच्छा है।"  


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