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धोखा करने वाले खिलाड़ियों पर भड़के गावस्कर, कहा- लोग चोट छुपाकर आ जाते हैं ताकि पूरे पैसे मिल जाए

आइपीएल में बहुत से खिलाड़ी चोटों को छुपा कर आते हैं और तब एक मैच खेलते हैं और कहते हैं कि वे चोटिल हैं ताकि वे अपना पूरा पैसा पा सकें। खिलाड़ी ज्यादा मैचों में उपलब्ध नहीं हो सकता है तो उसे खरीदने का कोई मतलब नहीं होता है।

By Viplove KumarEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 08:45 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 01:39 PM (IST)
सनराइजर्स हैदराबाद के तेज गेंदबाज मिशेल मार्श

सुनील गावस्कर का कॉलम। एक खिलाड़ी की चोटों का इतिहास भी होता है। इसलिए वह कितना भी बड़ा नाम हो, यदि वह ज्यादातर मैचों में उपलब्ध नहीं हो सकता है तो उसे खरीदने का कोई मतलब नहीं होता है। जब वे फिर से चोटिल होते हैं तो वे टीम की लय और संतुलन को खराब करने वाले होते हैं और जीत की लय को भी। आइपीएल में बहुत से खिलाड़ी चोटों को छुपा कर आते हैं और तब एक मैच खेलते हैं और कहते हैं कि वे चोटिल हैं ताकि वे अपना पूरा पैसा पा सकें।

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मुख्य रूप से इस संस्करण का इतना अच्छा होने का एक कारण सिर्फ पिचों की गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि शारजाह स्टेडियम के अलावा बाउंड्री के आकार का बड़ा होना भी था। लंबी बाउंड्री का मतलब था कि हमने कुछ शानदार कैच और क्षेत्ररक्षण के प्रयास देखे, जो अन्य मैदानों पर छक्के होते।

इसका दूसरा पहलू यह था कि जो खिलाड़ी अपनी क्षमताओं के साथ खेला उसके सफल होने की ज्यादा संभावना थी, जब तक कि वह ऐसा कुछ करने की कोशिश नहीं करता जो आमतौर पर वह नहीं करता है। इसलिए एक बल्लेबाज जो स्टंप्स के सामने गेंद को पूरी ताकत से मार सकता था वह स्कूप शॉट या रिवर्स स्वीप खेलने की तलाश में अक्सर असफल हो जाता था, जिसकी उसे आदत नहीं थी। एक्स्ट्रा-कवर के ऊपर से मारा गया शॉट देखने में अच्छा लगता है, लेकिन ज्यादातर लंबी बाउंड्री की वजह से डीप कवर फील्डर द्वारा लपके गए।

जिन गेंदबाजों ने बहुत ज्यादा विविधता लाने की कोशिश की वे अक्सर अपनी लाइन और लेंथ से भटक गए और उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। खासतौर से तेज गेंदबाज, जिन्होंने हाथ के पीछे से धीमी गति से डिलीवरी की कोशिश की और वह भटक गए क्योंकि यह उनकी सामान्य गेंदबाजी का हिस्सा नहीं थी और इसलिए उनका इस पर ज्यादा नियंत्रण नहीं था। इस घटना से यह भी पता चलता है कि अगर कोई गेंदबाज अच्छी यॉर्कर गेंदबाजी कर सकता है तो वह खेल के इस प्रारूप में कहीं अधिक प्रभावी होगा।

शारजाह स्टेडियम के पास की सड़क पर छक्कों को उड़ते हुए आसानी से देखा जाना हैरानी भरा था। क्लाइव लॉयड, विव रिच‌र्ड्स, गॉर्डन ग्रीनिज की पसंद रहे इस स्टेडियम में कई बार प्रशंसकों ने उनके शॉट लपके हैं और साफ है कि जिस तरह से आज बल्लेबाजी की जाती है और आधुनिक खिलाड़ी जिस तरह से जिम में भी वर्कआउट करते हैं वह उन शॉट में ऐसी ताकत डालते हैं जिससे की गेंद दूर तक जाती है। जो भी वजह हो, लेकिन यह वास्तव में अच्छा था।

बायो-बबल में होने के नाते और चार-पांच दिनों में परीक्षण किया जाना कोई समस्या नहीं थी, अगर आपके साथ लोगों का एक अच्छा समूह है और उसमें हम भाग्यशाली थे जो कमेंट्री बॉक्स में एक इकाई के रूप में हमेशा सकारात्मक थे और जीवन के उज्ज्वल पक्ष को देख रहे थे।एक बार फिर से हर किसी ने अच्छा किया, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण खिलाडि़यों के लिए, जिन्होंने हमें खेल में कुछ बेहतरीन क्षण प्रदान किए।


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