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India vs Australia: सीरीज हारने से विश्व कप की उम्मीदों को लगा तगड़ा झटका

India vs Australia पांच मैचों की सीरीज 2-3 से हारा भारत। ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी वनडे 35 रनों से जीता 2009 के बाद भारत में जीती सीरीज।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 09:23 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 09:23 AM (IST)
India vs Australia: सीरीज हारने से विश्व कप की उम्मीदों को लगा तगड़ा झटका
India vs Australia: सीरीज हारने से विश्व कप की उम्मीदों को लगा तगड़ा झटका

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली।  ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज 3-1 से और वनडे सीरीज 2-1 से हराने वाली भारतीय टीम अपने ही घर में उसी टीम के खिलाफ बुरी तरह पस्त हो गई। स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर के बिना अधूरी दिख रही ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दुनिया की दूसरे नंबर वाली टीम को उसके घर में आकर पहले टी-20 सीरीज में 2-0 से मात दी और फिर बुधवार को पांच मैचों की वनडे सीरीज को 3-2 से अपने नाम किया। यह पहली बार है जब ऑस्ट्रेलिया ने भारत में 0-2 से पिछड़ने के बाद कोई वनडे सीरीज जीती है। यही नहीं, इस टीम ने 2009 के बाद से भारत में कोई वनडे सीरीज जीती है।

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शुरुआती दो मैचों में पिछड़ने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने रांची और मोहाली वनडे जीतकर सीरीज 2-2 से बराबर कर ली थी। फिरोजशाह कोटला में आखिरी मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए नौ विकेट पर 272 रन बनाए तो लगा टीम इंडिया यह मैच और सीरीज जीत लेगी, लेकिन मेहमान टीम के गेंदबाजों ने मेजबानों को 50 ओवरों में 237 रनों पर ऑलआउट करके 35 रनों से यह मैच और सीरीज जीत ली।

भारतीय बल्लेबाजी की हालत खराब
273 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारत की बल्लेबाजी इस हद तक खराब थी कि उसकी जितनी बुराई की जाए कम है। ओपनर रोहित शर्मा ने किसी तरह 89 गेंदों पर 56 रन बनाए। उसके बाद सबसे ज्यादा 46 रन आठवें नंबर पर उतरे तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने बनाए। ओपनर शिखर धवन (12), कप्तान विराट कोहली (20), चौथे नंबर पर आए रिषभ पंत (16), विजय शंकर (16), रवींद्र जडेजा (00) आते-जाते रहे। यही कारण था कि भारत ने 28.5 ओवर में 132 रन पर छह विकेट गंवा दिए। सातवें विकेट के लिए केदार जाधव (44) और भुवनेश्वर ने 91 रनों की साझेदारी करके कुछ उम्मीदें जगाईं, लेकिन इन दोनों के आउट होते ही सब कुछ चौपट हो गया। इसी के साथ फिरोजशाह कोटला का एक रिकॉर्ड भी कायम रहा। इस मैदान पर केवल दो अवसरों पर 250 रन से अधिक के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया गया है। आाखिरी बार विश्व कप 1996 में श्रीलंका ने यह कारनामा किया था। भारतीय टीम फिर से यहां 250 से ज्यादा के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी।

तैयारियों को झटका
इस साल इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप से पहले भारतीय टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह अंतिम वनडे सीरीज थी। इसमें उसे अपने अंतिम-15 तय करने थे, लेकिन सीरीज के परिणाम और खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने सबको निराश कर दिया है। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने टीम इंडिया के कलाई के स्पिनरों कुलदीप यादव व युजवेंद्रा सिंह चहल की गेंदों को आसानी से पढ़ लिया तो उसके गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक की कमियों को उजागर कर दिया। ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर एडम जांपा ने 10 ओवर में 46 रन देकर तीन विकेट लिए। उन्होंने इस सीरीज में 11 विकेट लिए। तेज गेंदबाज पैट कमिंस ने इस सीरीज में भारतीय पिचों पर शानदार प्रदर्शन करते हुए सबसे ज्यादा 14 विकेट लिए।

ख्वाजा-हैंड्सकोंब की साझेदारी 
पांच मैचों की सीरीज के आखिरी मैच में ऑस्ट्रेलियाई ओपनर उस्मान ख्वाजा (100) और पीटर हैंड्सकोंब (52) के बीच दूसरे विकेट के लिए हुई 99 रनों साझेदारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया नौ विकेट पर 272 रन बनाए। ख्वाजा ने 106 गेंदों पर 10 चौकों और दो छक्कों की मदद से 100 रन बनाए। उन्होंने कप्तान आरोन फिंच (43 गेंदों पर 27 रन) के साथ पहले विकेट के लिए 76 और हैंड्सकोंब के साथ दूसरे विकेट के लिए 99 रन की दो साझेदारियों कीं। ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी 10 ओवर में 70 रन बनाए, लेकिन पांच विकेट भी गंवाए।

भारतीय गेंदबाजी का हाल 
मैदान के ऊपर बादल छाए थे, मौसम सुहावना था। इसी कारण टीम इंडिया पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरी लेकिन शुरुआती 32 ओवरों में उसे सिर्फ एक विकेट ही मिला। इन हालात में ऑस्ट्रेलिया की रणनीति साफ थी। उन्होंने जसप्रीत बुमराह को संभलकर खेला और बाकी गेंदबाजों को निशाने पर रखना। जब 14 ओवर के बाद स्कोर बिना किसी नुकसान के 73 रन था तब पांचवें गेंदबाज के रूप में जडेजा ने गेंद संभाली और उनकी तीसरी गेंद ही फिंच के बल्ले को चूमकर विकेटों में समा गई। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने चारों छक्के कुलदीप पर लगाए। ख्वाजा ने इस चाइनामैन स्पिनर पर लांग ऑन पर दो गगनदायी छक्के जड़े। कुलदीप की एक गुगली ने जरूर हैंड्सकोंब को छका दिया था, लेकिन तब विकेटकीपर रिषभ पंत भी गच्चा खा गए और गेंद चार रन के लिए चली गई। ऑस्ट्रेलिया 28 ओवर के बाद एक विकेट पर 157 रन बनाकर बड़े स्कोर की तरफ बढ़ रहा था। ऐसे में कोहली ने बुमराह को गेंद सौंपी।

अपने पहले चार ओवर में केवल आठ रन देने वाले बुमराह ने कसी हुई गेंदबाजी जारी रखी। बुमराह ने दबाव बनाया तो भुवनेश्वर और जडेजा ने उसे भुनाया। ख्वाजा ने 102 गेंदों पर शतक पूरा किया, लेकिन इसी स्कोर पर भुवनेश्वर की गेंद पर कवर में कैच दे बैठे। कोहली ने ही अगले ओवर में ग्लेन मैक्सवेल (01) का एक्स्ट्रा कवर पर कैच लेकर दर्शकों में जोश भरा। शमी अपना तीसरा स्पैल करने के लिए आए। उनकी तेजी से उठती गेंद को हैंड्सकोंब नहीं समझ पाए जो उनके बल्ले को चूमकर विकेट के पीछे गई और इस बार पंत ने कोई गलती नहीं की। हैंड्सकोंब ने इससे पहले वनडे में अपना चौथा अर्धशतक पूरा किया। मोहाली के नायक एश्टन टर्नर (20) ने चौके से शुरुआत की।

उन्होंने कुलदीप पर मिडविकेट पर सीधा छक्का जमाया, लेकिन इस गेंदबाज ने जल्द ही बदला चुकता कर दिया। टर्नर ने गुगली को हवा में लहराया जिसे जडेजा ने सीमा रेखा पर कैच कर दिया। इसके बाद भुवनेश्वर ने मार्कस स्टोइनिस (20) और शमी ने एलेक्स कैरी (03) को पवेलियन भेजा। झेई रिचर्डसन (29) और पैट कमिंस (15) ने 48वें ओवर में बुमराह पर 19 रन बटोरकर उनका गेंदबाजी विश्लेषण बिगाड़ा और स्कोर 250 रन के पार पहुंचाया। भारत की तरफ से बुमराह और रवींद्र जडेजा ने अधिक प्रभावित किया।


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