39 साल की झूलन गोस्वामी को किस बात का है सबसे ज्यादा मलाल, रिटायरमेंट से एक दिन पहले कर दिया खुलासा
झूलन गोस्वामी ने कहा कि जब मैंने शुरुआत की थी तो इतने लंबे समय तक खेलने के बारे में कभी नहीं सोचा था। यह बहुत अच्छा अनुभव था और मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि इस खेल को खेल सकी।
लंदन, प्रेट्र। भारतीय महिला टीम की तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी शनिवार को इंग्लैंड के खिलाफ अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर का आखिरी वनडे मैच खेलेंगी और इसके बाद रिटायरमेंट ले लेंगी। अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर के आखिरी मैच से ठीक पहले उन्होंने कहा कि दो दशक के क्रिकेट करियर में वो वनडे वर्ल्ड कप टाइटल नहीं जीत पाईं और इस बात का उन्हें काफी पछतावा है। झूलन लार्ड्स में अपना आखिरी मैच खेलेंगे और फिर संन्यास ले लेंगी।
झूलन गोस्वामी में मीडिया से बात करते हुए कहा कि वो इस खेल के प्रति शुक्रगुजार है, जिसने उन्हें इतनी शोहरत और प्रतिष्ठा दी। उन्होंने कहा कि एकदिवसीय विश्व कप के 2005 और 2017 सीजन में टीम के उपविजेता रहने का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा। दायें हाथ की 39 साल की इस गेंदबाज ने कहा कि मैंने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं लेकिन ट्राफी नहीं जीत सकी। मुझे बस इसी का मलाल हैं क्योंकि आप चार साल तक विश्व कप की तैयारी करते हैं। बहुत मेहनत होती है। प्रत्येक क्रिकेटर के लिए विश्व कप जीतना एक सपने के सच होने जैसा क्षण होता है।
इस दिग्गज गेंदबाज ने कहा कि जब मैंने शुरुआत की थी तो इतने लंबे समय तक खेलने के बारे में कभी नहीं सोचा था। यह बहुत अच्छा अनुभव था और मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि इस खेल को खेल सकी। ईमानदारी से कहूं तो बेहद साधारण परिवार और चकदा (पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में) जैसे एक छोटे से शहर से होने के कारण मुझे महिला क्रिकेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था। झूलन ने कहा कि भारतीय टीम की टोपी (पदार्पण करना) प्राप्त करना उनकी क्रिकेट यात्रा का सबसे यादगार क्षण था।
उन्होंने कहा कि मेरी सबसे अच्छी याद तब है जब मुझे भारत के लिए खेलने का मौका मिला और मैंने पहला ओवर फेंका क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए खेलूंगी। मेरी क्रिकेट यात्रा कठिन रही है क्योंकि अभ्यास के लिए मुझे लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि वह 1997 विश्व कप फाइनल में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मैच को देखने के लिए मैदान में 90,000 दर्शकों मौजूद थे। यही से उन्होंने क्रिकेट को करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मैं 1997 में ‘बॉल गर्ल’ थी और वर्ल्ड कप फाइनल को देखने के बाद ही मैंने भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था।