EXCLUSIVE: अफगानिस्तान में हो रहे बदलाव का श्रेय भारत को जाता है- मोहम्मद नबी
मो. नबी ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान क्रिकेट में हो रहे बदलाव का श्रेय हम भारत को देते हैं जिसने हमें घरेलू मैदान दिया।
हाल के वर्षों में अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम ने अपने दमदार खेल की बदौलत दुनियाभर के प्रशंसकों का ध्यान खींचा है और अब छह नवंबर से यह टीम लखनऊ के इकाना स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज खेलने उतरेगी तो यहां भी इसके प्रदर्शन पर दुनियाभर के क्रिकेट प्रशंसकों की निगाहें होंगी। अफगान टीम यहां वनडे के अलावा टी-20 और टेस्ट मैच की सीरीज भी खेलेगी। बेशक विश्व कप में अफगानिस्तान का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा हो, लेकिन उसने सितंबर में बांग्लादेश को टेस्ट मैच में करारी शिकस्त देकर इस प्रारूप में भी मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज को लेकर अफगानिस्तान के अनुभवी ऑलराउंडर मुहम्मद नबी से विकास मिश्र ने कई अहम मुद्दों पर विशेष बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :
-वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के लिए टीम की क्या रणनीति होगी?
--देखिए, वनडे विश्व कप में हम बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट में ऐतिहासिक जीत ने हमारी टीम के लिए संजीवनी का काम किया है। बेशक, वेस्टइंडीज तीनों प्रारूप में अच्छी टीम है, लेकिन मुझे भरोसा है कि हम उन्हें वनडे और टी-20 के अलावा टेस्ट सीरीज में भी कड़ी चुनौती देंगे। हमारे पास कई विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं जिनके दम पर किसी भी टीम को हराने में सक्षम हैं।
-आप और राशिद खान आइपीएल में भी एक ही टीम से खेलते हैं। अब राशिद टीम के कप्तान हैं। क्या टीम की रणनीति पर राशिद आपसे भी बात करते हैं?
--राशिद दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं। वह एक ऐसे गेंदबाज हैं, जो किसी भी पिच पर विकेट निकाल सकते हैं। राशिद अच्छे खिलाड़ी होने के साथ, अच्छे कप्तान भी हैं और उनके सभी निर्णय में टीम साथ होती है। आइपीएल और देश के लिए एक साथ खेलने से हम दोनों को काफी फायदा भी मिलता है।
-अफगानिस्तान में क्रिकेट के भविष्य को लेकर क्या कहेंगे?
--अफगानिस्तान अब धीरे-धीरे बदल रहा है। अब हमारे देश में भी स्टेडियम बन गया है, प्रथम श्रेणी के मैच भी खेले जाते हैं। क्रिकेट अकादमी भी खुल गई हैं जहां बड़ी संख्या में युवा क्रिकेट सीखने के लिए दाखिला ले रहे हैं। अब टीम में युवा खिलाड़ी आ रहे हैं। हां, इतना जरूर कहूंगा कि वहां भारत जैसे माहौल के लिए अभी कम से कम 15-20 साल इंतजार करना पड़ सकता है। अफगानिस्तान में हो रहे इस बदलाव का श्रेय हम भारत को देते हैं, जिसने हमें घरेलू मैदान दिया। एक खिलाड़ी के तौर पर मैं जरूर चाहूंगा कि भविष्य में अफगानिस्तान भी किसी टीम की मेजबानी करे और हम लोग अपने घरेलू दर्शकों के सामने खेलें।
-अफगानिस्तान की समस्या अन्य देशों की तुलना में काफी अलग है। अफगानिस्तान के खिलाडि़यों के लिए यहां तक का सफर कितना मुश्किल रहा है?
--अफगानिस्तान ने रिफ्यूजी कैंप से क्रिकेट का ककहरा सीखा। इसके बाद भारत जैसे देशों की मदद से हमें आगे बढ़ने का मौका मिला। यहां आइपीएल के प्लेटफॉर्म पर हमारी प्रतिभा को दुनिया ने देखा। टीम के सभी सदस्यों ने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया है। लेकिन, अब यह सुनकर अच्छा लगता है, कि क्रिकेट के जरिये हमारे देश को दुनिया में एक खास पहचान मिली है।