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गौतम गंभीर बोले, भारतीय टीम क्यों नहीं स्वीकार करती कि न्यूजीलैंड की टीम बेहतर थी

गौतम गंभीर ने अपने कॉलम में कहा है कि भारतीय टीम ये बात क्यों नहीं स्वीकार करती कि न्यूजीलैंड की टीम वनडे सीरीज में उनसे बेहतर थी।

By Vikash GaurEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 09:38 AM (IST)
गौतम गंभीर बोले, भारतीय टीम क्यों नहीं स्वीकार करती कि न्यूजीलैंड की टीम बेहतर थी

गौतम गंभीर का कॉलम। हम असफलताओं पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और निराशा हमारे चरित्र को परिभाषित करती है। क्रिकेट में, मैंने अक्सर नोटिस किया है कि जब भी हम पिछड़ते हैं तो हम अपनी टीम में से किसी को दोष देना शुरू कर देते हैं। कुछ लोग इसे आत्मविश्लेषण कहते हैं, लेकिन मैं इसे आत्मविश्वास की कमी कहता हूं। हम अपनी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना शुरू करते हैं और उन चीजों को बदलते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता है।

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यही चीज तब हुई जब भारत हाल में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज 0-3 से हारा। इसके बाद उसी टीम की आलोचना हुई जिसने मेजबानों को टी-20 सीरीज में 5-0 से हराया था। हम सिर्फ विरोधियों की सराहना क्यों नहीं कर सकते हैं और भविष्य के अपने मैचों की ओर क्यों नहीं देखते हैं? हम सिर्फ यह क्यों नहीं स्वीकार करते हैं कि विरोधी हमारी तुलना में बेहतर थे?

2009 में लौटते हैं, मैंने यह सवाल इंग्लैंड में रहने वाले एक खेल मनोवैज्ञानिक से पूछा था। इस पर उनका अनोखा आकलन था और मैं उसका ना तो समर्थन कर रहा हूं और ना ही खारिज कर रहा हूं। उनका नजरिया यह था कि एक राष्ट्र के रूप में हम विदेशियों के हाथों इस कदर मिट चुके हैं कि कोई भी उलटफेर हमें आत्म संदेह की ओर ले जाता है। उन्होंने समझाया कि खेल में लगातार जीतने के लिए हम बेहद दयालु और अच्छे हैं। अच्छा है कि मैं उस मनोवैज्ञानिक के आकलन का फैसला आप पर छोड़ता हूं।

पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल के पास है मौका

टेस्ट सीरीज पर आते हैं, मैं उम्मीद नहीं करता कि बाहर उलटफेर करने के लिए रातोंरात बदलाव होता है, लेकिन मुझे खुशी है कि विराट कोहली की टीम इस आकलन के लिए काफी सुरक्षित दिखती है। हमारे पास भारत की बल्लेबाजी में नई सलामी जोड़ी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि पृथ्वी शॉ या शुभमन गिल को जब मौका मिलेगा तो वे इस मौके पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। मयंक अग्रवाल पर मुझे काफी विश्वास है। हो सकता है कि वह किसी उपहार की तरह नहीं हो, लेकिन वह निश्चित रूप से सबसे ज्यादा व्यवस्थित हैं। वह वीरेंद्र सहवाग या डेविड वार्नर की तरह गेंदबाजों के साथ तिरस्कार का व्यवहार नहीं करेंगे, लेकिन उनके पास एक सलामी बल्लेबाज की स्पष्ट मानसिकता है।

मैंने पृथ्वी और शुभमन के साथ काफी समय बिताया है। इस तरह के दौरे बल्लेबाजों के लिए चुनौती की तरह होते हैं, जहां गेंदबाजों के अनुकूल हालात होते हैं। मुझे लगता है कि हम उन्हें आंकने या उनके बारे में लिखने को लेकर जल्दबाजी में नहीं हैं। पृथ्वी अपने खेल में कसावट लाने के लिए मयंक या चेतेश्वर पुजारा से एक या दो चीजें सीख सकते हैं। भारत के पास प्रभावशाली गेंदबाजी आक्रमण है जिसे इशांत शर्मा के आने से स्थिरता मिल गई है। कुल मिलाकर मुझे लगता है कि भारत के पास इस टेस्ट सीरीज में मेजबानों के सामने रखने लिए बड़ी चुनौती है।


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