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चेतेश्वर पुजारा ने कहा- कई बार गेंद रोकना रन बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, मैं कंडीशन के हिसाब से खेलता हूं

पुजारा ने कहा कि कहा कि कई बार ऐसा समय आता है जबकि स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता। प्रत्येक बल्लेबाज की अपनी भूमिका होती है। टीम प्रबंधन इसे अच्छी तरह से समझता है। उन्होंने कहा कि परिस्थितियों के अनुसार मेरी बल्लेबाजी भी बदल जाती है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 31 Jan 2021 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2021 06:38 PM (IST)
भारतीय टेस्ट टीम के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय टेस्ट टीम के धुरंधर बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का मानना है कि, कई रन बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण गेंदों का सामना करना होता है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में पुजारा की रणनीति कुछ ऐसी ही थी। उन्होंने कहा कि, स्ट्राइक रेट को कुछ ज्यादा ही महत्व दिया जाता है, लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पुजारा ने चार मैचों में 29.20 की स्ट्राइक रेट से 271 रन बनाए थे। हालांकि उनकी बल्लेबाजी इस बार बिल्कुल हालात के मुताबिक ही थी। पिछले दौरे पर उन्होंने 521 रन 41.41 की स्ट्राइक रेट से बनाए थे। 

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पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया के पिछले दोनों दौरे के बारे में बात करते हुए कहा कि, मैंने दोनों दौरों में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन कंडीशन पूरी तरह से अलग थी। मैंने लगभग आठ महीने बाद (कोविड-19 के कारण) वापसी की। इस बीच कोई प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं हुआ। यह 31 वर्षीय बल्लेबाज सीरीज के दौरान चट्टान की तरह क्रीज पर खड़ा रहा विशेषकर ब्रिसबेन में अंतिम टेस्ट मैच में जहां उन्होंने आस्ट्रेलियाई आक्रमण का डटकर सामना किया और कई गेंदें शरीर पर भी झेली।

पुजारा ने कहा कि तैयारियों के लिहाज से यह आसान नहीं था और आस्ट्रेलियाई टीम हर भारतीय खिलाड़ी के खिलाफ रणनीति के साथ उतरी थी। लय हासिल करने में थोड़ा समय लगा लेकिन सौभाग्य से आखिर में सब कुछ सही रहा। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के लिहाज से यह बहुत बहुत अच्छी सीरीज नजर नहीं आ रही हो लेकिन अगर आप पिचों पर गौर करो तो इस बार बहुत अधिक रन नहीं बने। निसंदेह यह पिछली बार की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण था।

भारत की तरफ से अब तक 81 टेस्ट मैच खेलने वाले पुजारा ने कहा कि दो साल पहले खेली गयी 1258 गेंदों की तुलना में इस बार उन्होंने जिन 928 गेंदों का सामना किया वह चुनौतीपूर्ण तेज गेंदबाजी आक्रमण, पिचों की प्रकृति और भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों के चोटिल होने के कारण अधिक मायने रखती है। पुजारा ने कहा, ‘‘दोनों दौरों की तुलना करना बहुत मुश्किल है लेकिन यह दौरा विशेष था क्योंकि हमारी टीम कमजोर थी और कई युवा खिलाड़ी खेल रहे थे। वैसे मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि केवल यही बेस्ट सीरीज थी जिसका मैं हिस्सा रहा हूं। ’’

उन्होंने कहा कि यहां तक कि आस्ट्रेलिया में पिछली सीरी भी कड़ी थी तथा 2017-18 की घरेलू सीरीज भी चुनौतीपूर्ण थी जिनका मैं हिस्सा रहा। पुजारा का स्ट्राइक रेट अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है क्योंकि वह एक तरफ से पैट कमिन्स, जोश हेजलवुड और मिशेल स्टार्क जैसे गेंदबाजों को पस्त करके दूसरे छोर के बल्लेबाजों के लिये काम आसान करते रहे। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा समय आता है जबकि स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता। प्रत्येक बल्लेबाज की अपनी भूमिका होती है। टीम प्रबंधन इसे अच्छी तरह से समझता है।

उन्होंने कहा कि परिस्थितियों के अनुसार मेरी बल्लेबाजी भी बदल जाती है। जब पिच बल्लेबाजी के लिए अनुकूल हो तो मैं स्ट्राइक रोटेट करूंगा। आप एक ही तरह से बल्लेबाजी नहीं कर सकते। यह अच्छा है कि दूसरे छोर पर रोहित शर्मा और रिषभ पंत जैसे स्ट्रोक प्लेयर थे और ऐसे में मुझे उसी तरह से बल्लेबाजी करने की जरूरत थी जैसी मैं करता हूं।


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