पूर्व विकेटकीपर का खुलासा, वीरेंद्र सहवाग का करियर बनाने के लिए सचिन तेंदुलकर ने किया था सबसे बड़ा त्याग
भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज अजय रात्रा ने बताया कि कैसे सचिन ने टीम के हित की वजह से अपने ओपनिंग करने की चाहत को त्याग दिया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। दुनिया के सबसे विस्फोटक ओपनर में गिने जाने वाले पूर्व दिग्गज वीरेंद्र सहवाग को बनाने के लिए पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को श्रेय दिया जाता है। गांगुली ने सहवाग के हुनर को पहचान कर उनको बल्लेबाजी क्रम में प्रमोट किया था। सहवाग की सफलता में जितना गांगुली का हाथ है उतना ही महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का भी है।
भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज अजय रात्रा ने बताया कि कैसे सचिन ने टीम के हित की वजह से अपने ओपनिंग करने की चाहत को त्याग दिया था। हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए पूर्व विकेटकीपर अजय रात्रा ने बताया, "उस समय सचिन बतौर ओपनर काफी अच्छा कर रहे थे लेकिन यहवाग को पारी की शुरुआत करनी थी। इसी वजह से सचिन को चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने का प्रस्ताव दिया गया।"
"तब सहवाग ने दादा (सौरव गांगुली) के साथ पारी की शुरुआत की जिसकी वजह से दाएं और बाएं हाथ की जोड़ी बन पाए। अगर सचिन इस बात के लिए राजी नहीं हुई होते तो शायद सहवाग को नीचले क्रम में खेलना पड़ता। उनको वनडे में पारी की शुरुआत करने का मौका मिलता ही नहीं और अगर ऐसा हुआ होता तो फिर इतिहास बिल्कुल जुदा होता।"
सचिन चोट की वजह से नहीं खेल रहे थे और गांगुली ने सहवाग से पारी की शुरुआत करवाने का फैसले लिया। 26 जुलाई 2001 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सौरव ने सहवाग को ओपनिंग में लाना का जोखिम भरा फैसला लिया था जिसने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में नया पन्ना जोड़ दिया। सहवाग को पहली बार ओपनिंग करने के लिए भेजा गया था और 33 गेंद पर 54 रन की पारी खेली थी। यह मैच भारत हार गया था लेकिन भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।
दो मैच के बाद ही उन्होंने ऐसी पारी खेली जिसने उनको स्टार बना दिया। महज 70 गेंद पर सहवाग ने आतिशी शतक लगाया था। इसके बाद सचिन ने चोट के बाद वापसी की और सहवाग को वापस नीचले क्रम में भेज दिया गया। कुछ मुकाबलों के बाद ही इंग्लैंड के खिलाफ घरलू सीरीज में सहवाग को दोबारा के ओपनिंग करने का मौका मिला और उन्होंने आतिशी पारियों खेलकर ओपनिंग की दावेदारी ठोक दी।
"सचिन ने एक अलग भूमिका अपनाई। उन्होंने चौथे नंबर पर बल्लेबाज करना का फैसला लिया। ऐसा सचिन ने टीम हित में किया था। उनका भूमिका तब 45 ओवर तक टिककर बल्लेबाजी करने की हो गई थी और यह चाल काम कर गई। सहवाग टॉप ऑर्डर से सफल बल्लेबाज बन गए।"