गुजरात के मजदूरों ने मांगा पैसा, कहा-मुफ्त नहीं खाया जाता नमक
छत्तीसग़ढ के नान घोटाले की वजह से गुजरात के नमक मजदूर-किसानों को परेशानी उठानी प़ड रही है। घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने नमक का पेमेंट रोक दिया।
रायपुर, ब्यूरो [ नईदुनिया एक्सलूसिव ]। छत्तीसग़ढ के नान घोटाले की वजह से गुजरात के नमक मजदूर-किसानों को परेशानी उठानी प़ड रही है। घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने नमक का पेमेंट रोक दिया। इससे परेशान मजदूर-किसानों [ ग्राम-कीडी, जिला-कच्छ ,ब्लॉक-सुरेंद्रनगर ] ने छत्तीसग़ढ नागरिक आपूर्ति निगम [ नान ] के एमडी को एक खत लिखा है। उन्होंने कहा है-हमारे देश में तो रिवाज है कि नमक कभी मुफ्त नहीं खाया जाता। हम नमक पका कर उसे खुले में रखते हैं, कोई गोदाम नहीं होता और जिन्हें भी खाने के लिए चाहिए, ले लेते हैं। लेकिन कप़$डे की पु़िडया में उसके पैसे छा़ेड जाते हैं। नॉन के अफसरों का कहना है कि यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
नमक में मिलावट संभव नहीं--
मजदूर-किसानों ने कहा है नमक ऐसी सस्ती चीज है, जिसमें कोई मिलावट नहीं हो सकती। हम छह साल से छत्तीसग़ढ नान को हलवद के अलग-अलग व्यापारियों के माध्यम से आपको नमक भेजते रहे हैं। इंडिया गवर्नमेंट के साल्ट डिपार्टमेंट और आपके अफसरों द्वारा प्रमाणित होने के बाद आपको सादा आयोडाइज्ड नमक भेजा गया। सादे आयोडाइज नमक में आयोडीन की मात्रा उसके स्टोरेज, परीक्षण की प्रक्रिया, सैंपलिंग आदि कई कारणों से अलग हो सकता है। नमक 50 साल से झारखंड, ओडिशा, एमपी, यूपी, बंगाल आदि राज्यों में जा रहा है। कभी शिकायत नहीं हुई। व्यापारी बता रहे हैं कि एसीबी छापे की वजह से पेमेंट रका है। मजदूरों ने मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, विधायक देवजी भाई पटेल, गुजरात के पंचायत मंत्री जयंती भाई कावडिया सहित नमक उत्पादन संघों से पेमेंट दिलाने की गुहार लगाई है।
यह है मामला-
प्रदेश में पीडीएस के तहत बीपीएल को मुफ्त बांटने के लिए हर महीने 5 हजार मीट्रिक टन नमक खरीदा जाता है। जनवरी से मार्च 2015 में नमक सप्लाई का ठेका गुजरात के हलवद की दो कंपनियों रमेश सॉल्ट व जोगराज इंडस्ट्रीज को दिया गया था। फरवरी में नान घोटाले के तहत एसीबी ने प्रदेशभर में गोदामों में छापे मारे। छापों में जब्त अमृृत नमक के सैंपल को अमानक पाया गया। रमेश सॉल्ट की बैंक गारंटी 1.70 करा़े$ड और जोगराज इंडस्ट्रीज की 1.50 करा़े$ड जब्त कर ली गई। दोनों कंपनियों का तीन महीने का नमक का पेमेंट क्रमश: 2.60 करा़े$ड व 2.40 करा़े$ड रोक दिया गया। कंपनियों ने पहले खाद्य सचिव के पास अपील की फिर मामले को हाईकोर्ट ले गए। कोर्ट ने इस प्रकरण में स्टे लगा रखा है।
नमक का सैंपल अमानक पाया गया था, इसलिए भुगतान रोका गया। मजदूर-किसानों का पत्र मिला है, पर हमने कंपनियों से माल लिया है। मामला हाईकोर्ट में है-सुनील कुमार जैन, एमडी, छत्तीसग़$ढ नागरिक आपूर्ति निगम।
किसानों, मजदूरों का पैसा मिलना चाहिए। मैं कल हलवद जा रहा हूं। पता करता हूं कि मामला क्या है-जयंती भाई काव़ि$डया, पंचायत मंत्री गुजरात।