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ईंट भट्ठों में मजदूरी करने वाली महिला पहुंची अमेरिका

कभी ईंट भट्टों में मजदूरी करने वाली मोतिन निषाद (30) आज अमेरिका में लोगों को एजुकेशन का महत्व बता रही है। अपने जज्बे और संघर्ष की कहानी सुनाकर वह एजुकेशन को प्रमोट कर रही हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 13 Oct 2016 05:49 AM (IST)Updated: Thu, 13 Oct 2016 05:56 AM (IST)

रायपुर। कभी ईंट भट्टों में मजदूरी करने वाली मोतिन निषाद (30) आज अमेरिका में लोगों को एजुकेशन का महत्व बता रही है। अपने जज्बे और संघर्ष की कहानी सुनाकर वह एजुकेशन को प्रमोट कर रही हैं। इधर बालोद जिले के साथ-साथ प्रदेश भर में मोतिन की चर्चा है।
मोतिन निषाद ओपन स्कूल संस्था की ओर से अमेरिका गई हैं। संस्था की नेशनल हेड रेनू सेठ उन्हें लेकर गई हैं। मोतिन वहां अलग-अलग संस्थाओं की ओर से अलग-अलग जगहों में आयोजित कार्यक्रमों में शिक्षा के महत्व पर भाषण दे रही हैं। वह हिन्दी में अपने संघर्ष की कहानी सुनाती हैं और रेनू उसका अंग्रेजी ट्रांस्लेशन कर विदेशियों को सुनाती हैं। हालांकि मोतिन ने भी कुछ हद तक अंग्रेजी सीख ली है और लगातार सीख रही हैं।
संघर्ष की कहानी
मोतिन निषाद चिचबोड़ गांव की आम लड़की थी। आठवीं तक पढ़ी थी। 2004 में उसकी शादी डौंडी ब्लॉक के कोटगांव में हो गई। शादी के सात साल बाद बच्चा नहीं हुआ तो पति ने दूसरी शादी करने के लिए तलाक दे दिया। बेहद कम पढ़ी ग्रामीण महिला के लिए ये बहुत मुश्किल दौर था। वह मायके लौटकर ईंट भट्टे में मजदूरी करने लगी। कभी गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़ने वाली मोतिन को इस बीच ओपन स्कूल के बारे में पता चला।तलाक के एक साल बाद 2012 में उसने ओपन स्कूल में एडमिशन ले लिया और 2014 में फर्स्ट डिवीजन से 10थ पास कर लिया।
पढ़ाई के दौरान नौकरी
मोतिन जब ओपन स्कूल में पढ़ाई शुरू करने वाली थीं इस बात के लिए चिंतित थीं कि मजदूर माता-पिता उसका खर्च कैसे चलाएंगे। इस पर संस्था ने उसकी मदद की और ओपन स्कूल का वार्डन की नौकरी दे दी। वहां उन्हें हर महीने 3500 तन्ख्वाह मिलने लगी। पढ़ाई के बाद मोतिन अब रायपुर की एक दूसरी संस्था में नौकरी करने लगी हैं। पिता बालूराम निषाद और मां कमलाबाई अब भी मजदूरी करते हैं। परिवार में मोतिन समेत आठ सदस्य हैं।
प्रेरणा कार्यक्रम की ब्रांड एंबेसडर बनेगी
मोतिन की लगन से प्रभावित जिला प्रशासन ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत चल रहे प्रेरण कार्यक्रम का ब्रांड एंबेसडर बनाने की बात कही है। कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने कहा- बेटियां लड़कों से कम नहीं हैं, ये मोतिन ने साबित कर दिया। वह जिले की बेटियों के लिए प्रेरणादायक साबित होगी।
रोज करती है माता-पिता से बात
मोतिन रोज रात को अमेरिका से फोन कर माता-पिता समेत पूरे परिवार से बात करती है। गांव के गरीब परिवार की बेटी के अमेरिका जाने से पूरे गांव में खुशी का माहौल है। आस-पास के गांवों में खूब चर्चा है।
दोबारा रिश्ते आए तो ठुकराया
मोतिन के बड़े भाई हेमशंकर व भाभी सावित्री ने बताया कि मायके में भी उनसे शादी करने के लिए कई रिश्ते आए लेकिन उसने ठुकरा दिया। मोतिन ने तलाक के बाद ही अकेले ही जिंदगी जीने का फैसला कर लिया था। उसने खुद को साबित भी किया है।

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