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Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या की नगरी समेत तीन महत्वपूर्ण स्थलों का बदलेगा नाम

Chhattisgarh Politics मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीन नगरों का नाम बदलने की घोषणा की है। चंदखुरी में देश का एकमात्र कौशल्या माता का मंदिर है। इसका नाम कौशल्या धाम चंदखुरी होगा। गिरौदपुरी में सतनामी समाज का तीर्थस्थल है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 01 Aug 2022 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2022 09:52 PM (IST)
Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या की नगरी समेत तीन महत्वपूर्ण स्थलों का बदलेगा नाम
छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या की नगरी समेत तीन महत्वपूर्ण स्थलों का बदलेगा नाम। फाइल फोटो

रायपुर, जेएनएन। Chhattisgarh Politics: देश में शहरों और स्थलों का नाम बदलने को लेकर खूब राजनीति होती रही है। खासकर उत्तर प्रदेश के शहरों का नाम बदलने को लेकर तो विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना भी साधा था। अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी नाम बदलने की राजनीति में कूद गई है। राज्य सरकार स्थानीय विभूतियों के नाम पर नगरों का नाम बदलकर राजनीतिक बढ़त लेने का प्रयास कर रही है।

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इनके बदलेंगे नाम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीन नगरों का नाम बदलने की घोषणा की है। चंदखुरी में देश का एकमात्र कौशल्या माता का मंदिर है। इसका नाम कौशल्या धाम चंदखुरी होगा। गिरौदपुरी में सतनामी समाज का तीर्थस्थल है। इसका नाम अब बाबा गु घासीदास धाम गिरौदपुरी होगा। सोनाखान का नाम शहीद वीरनारायण सिंह धाम सोनाखान होगा। राज्य सरकार जल्द ही नाम परिवर्तन की अधिसूचना जारी करेगी।

यह है तीनों स्थलों का महत्व

माता कौशल्या का मायका

चंदखुरी: रायपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित चंदखुरी में विश्व का अकेला कौशल्या मंदिर है। यहां माता कौशल्या के साथ भगवान श्रीराम अपने बालरूप में विराजे हैं। इस स्थान को माता कौशल्या का मायका और श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। राज्य शासन ने चंदखुरी को श्रीराम वन गमन पर्यटन परिपथ में शामिल किया है।

सतनाम पंथ के आस्था का केंद्र

गिरौदपुरी: बलौदाबाजार-भाटापारा स्थित गिरौदपुरी सतनाम पंथ के लाखों अनुयायियों की आस्था का केंद्र है। यह सतनाम संप्रदाय के गुरू बाबा गुर घासीदास की जन्मस्थली और तपोभूमि है।

आजादी के लिए दिया था बलिदान

बलौदाबाजार-भाटापारा में ही स्थित सोनाखान को 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ के प्रथम बलिदानी वीरनारायण सिंह के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तारी के बाद 10 दिसंबर 1857 को उन्हें रायपुर के जयस्तंभ चौक में फांसी दे दी गई थी। 

गौरतलब है कि विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण स्थानों के नाम बदलने की राजनीति काफी समय से चल रही है। इसका मकसद वोट की राजनीति रहता है। भूपेश सरकार नाम बदलने के मामले में विपक्ष के निशाने पर आ सकती है।


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