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इसरो दूसरे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है : अध्यक्ष

इसरो के अध्यक्ष डॉ. एएस किरण कुमार ने कहा कि इसरो अपनी क्षमता के अनुसार दूसरे देशों के साथ अंतरिक्ष में पहुंचने की प्रतिस्पर्धा में प्रयास कर रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 14 Dec 2016 04:00 AM (IST)Updated: Wed, 14 Dec 2016 04:37 AM (IST)

रायपुर, निप्र। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [ इसरो ] के अध्यक्ष डॉ. एएस किरण कुमार ने मंगलवार को कहा कि इसरो अपनी क्षमता के अनुसार दूसरे देशों के साथ अंतरिक्ष में पहुंचने की प्रतिस्पर्धा में प्रयास कर रहा है। चांद, मंगल पर पहुंचने के लिए रूस, अमेरिका जैसे देशों में खुद को कहां पाते हैं और विभिन्न देशों के बीच चल रही अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा को लेकर हम कहां है ?

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नईदुनिया के इस सवाल पर डॉ. कुमार ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि हम इस ओर लगातार प्रयास कर रहे हैं। हालांकि इसरो के आविष्कारों और गोपनीयता को लेकर पूछे गए सवाल में उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने अपनी सीमाएं बताईं।
डॉ. कुमार प्रदेश के विकास और सुशासन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित साधनों के अनुप्रयोग विषषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में विशेषष अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। गौरतलब है कि हाल ही में इसरो अध्यक्ष कर्नाटक के चल्लाकेरे स्थित केंद्र में अपने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन के लिए परीक्षण किए हैं । जहां लैंडिंग मिशन के लिए सिम्यलैटेड लुनार क्रेटर बनाए गए हैं। उनके साथ आए दूसरे अतिथियों ने बताया कि टेक्नोलॉजी में इसरों जापान तक पहुंच गए हैं। कुछ समय बाद अमेरिका की तरह टेक्नोलॉजी भारत के पास होगी। बता दें कि इसरो ने चंद्रयान-2 के उपकरणों और संवेदकों की परख के लिए चंद्रमा की सतह की भांति ही इस केंद्र में जमीन पर कई गड्ढे बनाए हैं। इसरो देश में 2008 से ही अपने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-2 मिशन पर काम कर रहा है।
छत्तीसग़ढ को खूब सराहा
इसरो अध्यक्ष ने छत्तीसग़ढ की खूब सराहना की। उन्होंने कहा इसरो प्रदेशों के विकास के लिए काम कर रहा है। छत्तीसग़ढ में जनकल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल प्रशंसनीय है। यह टेक्नालाजी के उपयोग करने वाले सर्वाधिक सक्रिय राज्यों में शामिल हो गया है। राज्य गठन के बाद छत्तीसग़ढ सरकार ने अंतरिक्ष और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। दूर-संवेदी भू-उपग्रह के जरिए हर गांव का डाटाबेस, खनिज साधन विभाग में दुर्ग जिले के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में खनन सूचना प्रणाली विकसित की है। इसका लाभ नीति निर्माताओं सहित उद्यमियों को भी मिलेगा। इस प्रकार की पहल को अब देश के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इस कार्यशाला में छत्तीसग़ढ सरकार के विभिन्न विभाग हिस्सा ले रहे हैं ।

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