Chhattisgarh News: बीमा कंपनियों को अब सुनवाई के दिन ही देना होगा चेक, हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस
Chhattisgarh राष्ट्रीय लोक अदालतों में सुनवाई के दौरान ही बीमा कंपनियों को दुर्घटना दावा के मामले में पीड़ित पक्ष के लिए दावे की राशि जमा करनी होगी। 12 नवंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों की सुनवाई होगी।
बिलासपुर, जेएनएन। Chhattisgarh News: राष्ट्रीय लोक अदालतों में सुनवाई के दौरान ही बीमा कंपनियों को दुर्घटना दावा के मामले में पीड़ित पक्ष के लिए दावे की राशि जमा करनी होगी। 12 नवंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों की सुनवाई होगी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने इसे लेकर अधिसूचना जारी की है। इसमें देश की नामी 10 बीमा कंपनियों को नोटिस जारी कर 10 अक्टूबर को अपने अधिवक्ता के साथ उपस्थित रहने को कहा है। हाई कोर्ट के अलावा निचली अदालत में भी दुर्घटना दावे से संबंधित मामले होंगे तो भी उन्हें उपस्थित होने को कहा गया है।
हाई कोर्ट ने कंपनियों को भेजा नोटिस, 10 अक्टूबर को उपस्थित रहने को कहा
राष्ट्रीय लोक अदालत में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का फोकस दुर्घटना दावा को लेकर है। दुर्घटना में मृत व्यक्ति के स्वजन द्वारा क्षतिपूर्ति दावा निचली अदालतों में किया जाता है। बीमा कंपनियां अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए प्रकरण को कोर्ट में लंबा चलाने में कामयाब रहती हैं। इसके चलते पीड़ित पक्ष को समय पर न्याय नहीं मिल पाता और न ही आर्थिक मदद। पीड़ित पक्ष की दिक्कतों को देखते हुए अब राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने राष्ट्रीय लोक अदालत में दुर्घटना दावा से संबंधित मामलों की प्राथमिकता के साथ सुनवाई का निर्देश दिया है।
इन कंपनियों को किया तलब
एग्म जनरल इंश्योरेंस कंपनी, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, टाटा जनरल इंश्योरेंस कंपनी, आइसीआइसीआइ लुम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी, फ्यूचर जनरल इंश्योरेंस कंपनी, द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस कंपनी, श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, बजाज एलायनज जनरल इंश्योरेंस कंपनी, चोला मंडलम जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड।
हर शनिवार को जेल में लगेगी अदालत
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की योजना देश के लिए रोल माडल बनने जा रही है। प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष देशभर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को कम करने के लिए कार्ययोजना पेश की थी। इसमें सुझाव दिया था कि छोटे अपराध के बाद सुनवाई का इंतजार कर रहे बंदी द्वारा अपराध स्वीकार कर लेने पर जेल में बिताए समय को सजा में बदलकर रिहाई दे दी जाएगी। इसके लिए प्रत्येक शनिवार को जेल में अदालत लगाई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्ययोजना को मंजूरी दे दी है। साथ ही, देशभर के हाई कोर्ट को इसे अमल में लाने का निर्देश दिया है।