आईएएस, आईपीएस अफसरों को संपत्ति विवरण न देने की छूट
केंद्र ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को संपत्ति विवरण न देने की छूट दे दी है।
रायपुर। केंद्र सरकार को देश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों की मजबूत लॉबी के आगे घुटने टेकने पड़ गए हैं। तीन साल पहले मनमोहन सिंह और अब मोदी सरकार ने इन आला-अफसरों से उनकी कमाई का बैंक-बैलेंस और चल अचल संपत्ति का विवरण जमा करने खूब शोर मचाया, पर सफलता नहीं मिली। अंतत केंद्र ने इन अफसरों को संपत्ति विवरण न देने की छूट दे दी है। इसके लिए केंद्र ने लोकपाल, लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन कर दिया है।
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने साल 2013 में लोकपाल अधिनियम में संशोधन करते हुए अभा सेवा के नौकरशाहों के अपनी और परिजनों के नाम की चल-अचल संपत्ति के साथ बैंक-बैलेंस का खुलासा करना अनिवार्य किया था।डीओपीटी से आदेश जारी होते ही अफसरों की मजबूत लॉबी ने विरोध शुरु कर दिया। आफिसर्स एसोसिएशन ने इस बात की आशंका जताई थी कि परिजनों के नाम की संपत्ति का सार्वजनिक होते ही फिरौती के लिए किडनैप की घटनाएं घट सकती है।
देश भर में इस विरोध के बाद केंद्र ने साल-14 में बैकं-बैलेंस के खुलासे से मना कर दिया था। अबकी बार अफसरों को केवल चल-अचल संपत्ति का विवरण मांगा गया। इसके लिए केंद्र तीन सालों से लगातार पांच बार सबमिशन डेट बढ़ा रहा है। केंद्र ने अंतिम बार आगामी 31 दिसंबर तक ब्योरे की मांग की थी। किंतु अब तक सरकार को इस पर पूरी सफलता नहीं मिल पाई है।
आज भी बड़ी तादाद में अफसरों ने ब्योरा जमा नहीं किया है। इस बीच केंद्रीय लोक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कानून में संशोधन कर संपत्ति का ब्यौरा न देने की छूट दे दी है। अधिनियम की धारा 44 के संशोधन के तहत अब इसकी अनिवार्यता नहीं होगी। विभाग के निदेशक राकेश कुमार ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और जीएडी सचिवों को यह निर्देश जारी कर दिए हैं।