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धमतरीः जल संकट से सीखा सबक, 250 किसानों ने नहीं लगाई धान की फसल

ग्राम पंचायत परसतराई के किसान रामकृष्ण साहू ने बताया कि एक एकड़ में गेहूं एवं एक एकड़ में चना की फसल लगाई है। कहा कि गांव के किसानों ने पिछले वर्ष बैठक कर सामूहिक निर्णय लिया था कि इस बार ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में धान की फसल नहीं लगाएंगे। किसान कुंजबिहारी साहू ने ढाई एकड़ में चना एवं दो एक में गेहूं की फसल लगाई है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Wed, 24 Apr 2024 07:38 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2024 07:41 PM (IST)
धमतरीः जल संकट से सीखा सबक, 250 किसानों ने नहीं लगाई धान की फसल (File Photo)

रामाधार यादव, धमतरी। धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ धमतरी जिले में किसान धान की दो बार फसल लगाते हैं। गर्मियों में धान की फसल लेने के चलते गांवों में जल संकट की स्थिति पैदा हो जाती है। इससे सबक लेते हुए ग्राम परसतराई के 250 किसानों ने गर्मियों में धान की फसल नहीं लगाई। चूंकि धान की फसल में सिंचाई के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए ग्रामीणों ने कम पानी वाली गेहूं, सरसों, चना एवं मटर की फसल लगाई है। पानी की बचत होने से भूजल स्तर भी 90 फीट पर बना हुआ है।

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ग्राम पंचायत परसतराई के किसान रामकृष्ण साहू ने बताया कि एक एकड़ में गेहूं एवं एक एकड़ में चना की फसल लगाई है। कहा कि गांव के किसानों ने पिछले वर्ष बैठक कर सामूहिक निर्णय लिया था कि इस बार ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में धान की फसल नहीं लगाएंगे। किसान कुंजबिहारी साहू ने ढाई एकड़ में चना एवं दो एक में गेहूं की फसल लगाई है।

उन्होंने कहा कि इस बार की गर्मी में धान की फसल लेने वाले किसानों पर 33000 रुपये अर्थदंड लगाने का निर्णय सामूहिक रूप से किसानों ने लिया था, लेकिन अर्थदंड लगाने की नौबत ही नहीं आई। किसान शत्रुघ्न लाल सेन ने एक एकड़ में चना की फसल लगाई है। गांव के आधे से अधिक किसानों की फसल कट चुकी है। पिछले साल की गर्मी के जलसंकट से पूरा गांव जागरूक हो गया है।

करोड़ों लीटर पानी बचाया, अब तीसरी फसल लेने की तैयारी

गांव के किसानों ने जागरूक होकर कम सिंचाई पानी वाली फसल लेकर करोड़ों लीटर भूजल बचा लिया है। इसका सुखद परिणाम यह है कि किसान तीसरी फसल लेने की तैयारी में हैं। किसान मार्च से जून माह तक के लिए उड़द, मूंग, तिल और सूर्यमुखी की फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं। कृषि विभाग के उपसंचालक मोनेश कुमार साहू ने बताया कि परसतराई के किसानों ने तीसरी फसल लेने विभाग से बीज की मांग की है।

110 सिंचाई पंपों ने गिराया था जलस्तर

सरपंच परमानंद आडिल ने बताया कि इस बार गांव के सभी 250 किसानों ने अपनी 450 एकड़ भूमि पर धान की फसल नहीं लगाई है। फसल चक्र परिवर्तन अपनाकर धान की बजाय कम पानी वाली दूसरी फसलें लगाई है। पिछले साल गर्मी की फसल के रूप में सभी किसानों ने 450 एकड़ रकबे में धान की फसल लगा ली थी। गांव के 110 सिंचाई पंपों के लगातार चलने के कारण 150 फीट तक नीचे चला गया था। इस पर भी अंत में धान की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई थी। गांव के किसानों और किसान नेताओं को गंगरेल बांध से सिंचाई पानी को छोड़ने की मांग लेकर आंदोलन तक करना पड़ा था, लेकिन पानी नहीं छोड़ा गया। इन सब कटु अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार धान की फसल नहीं लगाई गई है।

गांव के किसानों के 110 सिंचाई पंपों के लगातार चलने से पिछले साल की गर्मी में यहां का भूजल स्तर 150 फीट तक नीचे चला गया था। गांव के 90 बोर फेल हो गए थे। आठ हैंडपंप बंद हो गए थे। गांव के दोनों तालाब सूख गए थे, जिससे निस्तारी संकट गहरा गया था। 300 घरों में नल जल योजना के तहत पेयजल पहुंचना मुश्किल हो गया था।

(परमानंद आडिल, सरपंच, परसतराई )

धान फसल को 1200 से 1500 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है। एक एकड़ धान की फसल की सिंचाई के लिए 20 लाख लीटर से ज्यादा पानी लगता है। पांच एचपी का एक मोटर पंप प्रति घंटे 40 हजार लीटर अपनी भूमि से खींचता है। धान फसल के मुकाबले गेहूं में एक तिहाई पानी लगता है। चना, उड़द, मूंग एवं अन्य दलहन तिलहन की फसल लेने पर से भी कम मात्रा में सिंचाई पानी की आवश्यकता पड़ती है।

(मोनेश कुमार साहू, उप संचालक, कृषि विभाग)

धमतरी जिले में खरीफ फसल जुलाई से लगाई जाती है और नवंबर में काटी जाती है। इस दौरान धान की फसल ली जाती है। फिर रबी सीजन में अक्टूबर से फसल लगाने का कार्य शुरू हो जाता है, जो नवंबर, दिसंबर तक चलता है। 31 मार्च तक फसल काट ली जाती है। रबी फसल के रूप में भी धान की फसल ही ज्यादातर ली जाती है, जिससे पानी की कमी हो रही थी। ऐसे में इस बार गेहूं, चना और मूंग इत्यादि फसलें लगाई गई हैं। ताकि जल संकट से निपटा जा सके।

(दामोदर बरिहा, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, कृषि विभाग, धमतरी)

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