कैग की रिपोर्ट में 3146 करा़ेड की ग़डब़डी का खुलासा
छत्तीसग़ढ में सरकारी तंत्र में हावी भ्रष्टाचार ने विकास का चक्का तो थामा ही है, जनता का हक भी छीन लिया।
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। छत्तीसग़ढ में सरकारी तंत्र में हावी भ्रष्टाचार ने विकास का चक्का तो थामा ही है, सामाजिक क्षेत्रों में सरकारी लूट ने जनता का हक भी छीन लिया। गुरुवार को विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक [ कैग ] की रिपोर्ट में प्रदेश सरकार पर पिछले 17 साल में जनता का 3146 करा़ेड ग़डब़डी का खुलासा हुआ है। यह राशि बजट के बाहर जाकर व्यय की गई है, जिसका कोई हिसाब नहीं है। स़डक, एनीकट, पुल आदि निर्माण कार्यों में तो मनमानी की ही गई है, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी बुनियादी सेवाओं में भी जमकर लूट की गई है। निर्माण कार्यों के 194 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जो एक से दस साल से लंबित हैं। इनमें सरकार के 5912 करा़ेड रुपए बेकार हो गए। वहीं सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में 2183 करा़ेड की अनियमितता का खुलासा कैग ने किया है।
0 एनीकट: 1093 करा़ेड बेकार
280 एनीकट अब तक अपूर्ण हैं, जिनमें 1093 करा़ेड बेकार हो गए। कैग ने 79 एनीकट का निरीक्षण किया। चार ऐसे मिले जो जल्द ही टूट जाएंगे। 48 ऐसे मिले जिनमें साल में तीन-चार महीने ही पानी रहता है। 90 फीसदी एनीकट तय समय से काफी देर से पूरे हुए, जिससे लागत कई गुना ब़ढ गई। गेट न होने से 3.66 करा़ेड के एनीकट अनुपयोगी हैं। 50 फीसदी मामलों में भूजल स्तर ब़ढने के बजाय और नीचे चला गया।
शिक्षा: निर्माण के 858 करा़ेड वेतन में बांटे
20 फीसदी स्कूल ही अपग्रेड हुए। 879 गांवों में अब भी प्राथमिक शाला नहीं है। 1231 गांवों में मिडिल स्कूल नहीं है। निर्माण कार्यों के लिए मिले 858 करा़ेड शिक्षकों की तनख्वाह में बांटे गए। गणवेश की खरीदी में राजीव गांधी शिक्षा मिशन और डीपीआई के रेट में अंतर है। डीपीआई ने 25.29 करा़ेड अतिरिक्त खर्च किया। किताब खरीदी में भी 7.1 करा़ेड ज्यादा व्यय हुआ है। 9.69 करा़ेड सरपंच गबन कर गए।
स़डक: तीन गुना अधिक मेजरमेंट
679 गांवों में अब भी पीएमजीएसवाय स़डक नहीं है। 33 करा़ेड रुपए स़डक बनाने के बजाय अपग्रेड करने में खर्च हुए। 3 मीटर की जगह 3.75 मीटर की स़डक बना कर 9 करा़ेड अतिरिक्त खर्च किया गया है। 6 स़डकों पर पुल नहीं है। काम में देरी से 21 करा़ेड ज्यादा खर्च हुआ है। बिलासपुर में कंसल्टेंट ने 12 करा़ेड का मेजरमेंट दिया, जबकि काम 4 करा़ेड का ही हुआ है।
स्वास्थ्य: 1700 लोगों पर एक डॉक्टर
प्रदेश में एक हजार पर एक के बजाय 17 हजार लोगों पर एक डॉक्टर है। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज अब तक नहीं बना है, जिससे उसकी लागत 2 सौ करा़ेड से ब़ढकर 750 करा़ेड हो गई है। स्पेशलिस्ट डॉक्टर के 963 पद स्वीकृृत हैं पर राज्य में इसके चार प्रतिशत ही स्पेशलिस्ट हैं। 945 नए डॉक्टरों में से एक भी गांव नहीं गया।
पुल: निर्माण में देरी से 44.81 करा़ेड की हानि
पांच साल में कुल 216 पुल आठ साल तक देरी से पूरे किए गए। 127 पुलों की जांच की गई, जिनमें से 87 देर से बने, जिससे 44.81 करा़ेड की हानि हुई। निर्माण शुरू करने के बाद ड्राइंग डिजाइन किया गया। 6 पुल दस साल में खराब हो गए, जबकि पुलों की आयु सौ साल होती है।
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एसडीओ ने निकाल लिए 2 करा़ेड
कैग की रिपोर्ट में उल्लेख है कि कांकेर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एक एसडीओ ने वित्तीय अधिकार का दुरुपयोग किया। खुद के नाम एक-एक लाख का चेक काटकर कुल 2 करा़ेड निकाल लिए। इसे कम्प्यूटर में दर्ज नहीं किया गया। अब वह पक़डा गया है।
उद्योगों को 13 प्रकार की छूट
16.63 करा़ेड का राजस्व नहीं वसूल पाए। उद्योगों को 13 प्रकार की छूट दी गई। 44 करा़ेड का पानी मुफ्त दिया। अलग-अलग विभाग छूट देते हैं पर एक-दूसरे के बारे में पता नहीं होता। जॉइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट की राशि जमा नहीं हुई। वैट में 14 करा़े$ड कम वसूले गए। जिंदल समूह से 14.14 करा़ेड की रायल्टी नहीं ली गई।
खनिज में घाटा
कोयला, बाक्साइट, टिन और कोलंबाइट में नुकसान हुआ है। कोयला में 330 करा़ेड की खदानें समय पर नहीं खुल पाईं। आयरन ओर में 6 खदान सेल के सहयोग से खुलनी थी, पर नहीं खुली। बाक्साइट में 15 खदान पर काम नहीं हुआ।
यहां उल्टी दिशा में घूमती हैं सब घडिय़ां
शराब में चुकाया ज्यादा पैसा
कंपनियां ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन को लैंडिंग प्राइज देती हैं, जिसमें रेट की सौदेबाजी न करके जो दाम बताया उतना भुगतान किया। नियमानुसार लैंडिंग प्राइज देखने के बाद अन्य राज्यों से शराब की कीमत मंगाकर अध्ययन किया जाता है फिर दाम तय होता है। एल्कोहल में 65 प्रतिशत ड्यूटी लगती है। कंपनियों को 111 करा़ेड का फायदा पहुंचाया गया।
जांच की जाएगी
कैग के प्रतिवेदन पर विधानसभा की लोक लेखा समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति जांच करेंगी। जांच और विचारोपरांत दोनों समितियों के प्रतिवेदन अभिमत सहित विधानसभा में प्रस्तुत किए जाएंगे-डॉ.रमन सिंह, मुख्यमंत्री छत्तीसग़ढ।