Doctors Day: किडनी देकर भाई ने बचाई जान तो डाक्टर ने आयुष्मान में जुड़वा दी किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा
Doctors Day स्वास्थ्य विभाग में उप संचालक व राज्य में आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डा. श्रीकांत राजिमवाले की किडनी मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही खराब हो गई थी। उनके बड़े भाई स्व. जयंत राजिमवाले ने अपनी किडनी देकर डा. श्रीकांत की जान बचाई।
रायपुर, जेएनएन। किडनी देकर बड़े भाई ने जान बचाई तो पीड़ा समझ में आई। अपने अनुभव से सीख लेकर डाक्टर ने आयुष्मान योजना में किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा जुड़वा दी। स्वास्थ्य विभाग में उप संचालक व राज्य में आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डा. श्रीकांत राजिमवाले की किडनी मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही खराब हो गई थी। उनके बड़े भाई स्व. जयंत राजिमवाले ने अपनी किडनी देकर डा. श्रीकांत की जान बचाई। डा. श्रीकांत के लिए वह समय बेहद कठिन था। किडनी ट्रांसप्लांट बेहद महंगा उपचार था। किडनी प्रत्यारोपण व इलाज के लिए राजिमवाले भाइयों को अपनी पुश्तैनी जमीन तक बेचनी पड़ी थी। खुद पीड़ा से गुजरने के बाद डा. श्रीकांत समझ गए थे कि किसी गरीब मरीज के लिए किडनी ट्रांसप्लांट कितना मुश्किल काम है।
राज्य में 100 से अधिक रोगियों की किडनी ट्रांसप्लांट से बचाई जान
आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए तो उन्होंने अपने प्रयासों से राज्य में इस योजना के पैकेज में किडनी के मरीजों के लिए निश्शुल्क सेवा शुरू कराने में बड़ी भूमिका निभाई। राज्य में इनके प्रयासों से 100 से अधिक गरीब मरीजों किडनी का ट्रांसप्लांट हो चुका है। हालांकि इस बीच डा. श्रीकांत राजिमवाले का संघर्ष कम नहीं रहा। डा. श्रीकांत ने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें किडनी की समस्या शुरू हो गई थी। धीरे-धीरे खराब होती किडनी और बिगड़ते स्वास्थ्य को संभालने के लिए लंबे समय तक चले इलाज में काफी खर्च आने लगा। बड़े भाई स्व. जयंत राजिमवाले ने अपनी एक किडनी देकर उन्हें नई जिंदगी तो दे दी, लेकिन इलाज और दवा के खर्च से आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी। वह समझ चुके थे कि एक गरीब के लिए इस बीमारी का इलाज कराना कितना मुश्किल है। ऐसे में उन्होंने ऐसे रास्ते की तलाश शुरू की, जिससे गरीब मरीज आसानी से अपना इलाज करा सकें।
जिम्मेदारी मिलते ही शुरू किया काम डा. श्रीकांत ने बताया कि इलाज को लेकर गरीब मरीजों की मदद करते रहे। आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी बनने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट व इलाज को योजना के पैकेज में जुड़वाने सर्वे किया। निश्शुल्क इलाज का खुद से खाका तैयार कर सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया। शासन ने भी गंभीरता समझते हुए न सिर्फ किडनी ट्रांसप्लांट बल्कि सालभर तक के दवाओं के खर्च को भी योजना में शामिल कर लिया। आज राज्य में किडनी रोगियों को निश्शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो पा रही है।