धोखाधड़ी: दो आरोपियों को तीन साल की कैद
कांकेर। धोखाधड़ी मामले में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम हेमंत सर्राफ ने दो आरोपियों को तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और तेरह सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।
नवंबर 1983 से जनवरी 1984 के मध्य तत्कालीन ग्रामीण बैंक संबलपुर के शाखा प्रबंधक गिरीश चंद द्विवेदी के साथ मिलकर आरोपी आरएल श्रीवास्तव पुत्र नाथलाल तत्कालीन सहकारिता विस्तार अधिकारी भानुप्रतापपुर व रामसिंह गौतम पुत्र रामाधीन गौतम ग्राम सेवक ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों के नाम से गबन किया था। आरोपियों ने फर्जी हितग्राहियों के ऋण आवेदन पत्र तैयार कर बैंक से एक लाख एक हजार पांच सौ रुपये की राशि का गबन किया।
आरोपियों के विरुद्ध शिकायत विकास खंड भानुप्रतापपुर को प्राप्त हुई थी। जिसमें 67 ऋण प्रकरणों को फर्जी पाए जाने पर इसकी शिकायत आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो भोपाल द्वारा अभियुक्तगणों पर भारतीय दंड संहिता धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1947 की धारा 13 सी, डी, 13 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया। आरोपी आरएल श्रीवास्तव व रामसिंह गौतम को विशेष न्यायधीश हेमंत सर्राफ ने दोषसिद्ध पाते हुए तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और तेरह सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। तीसरा आरोपी गिरीश चंद द्विवेदी फरार है। प्रकरण का विचारण विभिन्न न्यायालयों में 16 वर्षो तक लंबित रहा। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक संदीप श्रीवास्तव ने की।
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