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ITR 2018: इन पांच तरीकों की आय का उल्लेख करना न भूलें

आयकर रिटर्न फाइल करने के दौरान आपको अन्य स्रोत से प्राप्त आय का भी खुलासा करना चाहिए

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 02:10 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 07:41 AM (IST)
ITR 2018: इन पांच तरीकों की आय का उल्लेख करना न भूलें
ITR 2018: इन पांच तरीकों की आय का उल्लेख करना न भूलें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2016-17 (आकलन वर्ष 2018-19) के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त 2018 निर्धारित है। पहले यह 31 जुलाई 2018 निर्धारित थी लेकिन इसमें एक महीने का विस्तार दे दिया गया। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान आपको हर तरह से प्राप्त होने वाली आय का खुलासा करना होता है। ऐसा न करने की सूरत में आप मुश्किल में आ सकते हैं। हम अपनी इस खबर में आपको 5 ऐसे स्रोतों से होने वाली आय के बारे में बता रहे हैं जिनका उल्लेख आपक अपने आईटीआर में हर हाल में करना चाहिए। जानिए इनके बारे में...

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ब्याज आय: सेविंग, रेकरिंग और फिक्स्ड डिपॉजिट पर होने वाली ब्याज आय कर योग्य होती है। आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत "अन्य स्रोतों से आय" के रूप में इन्हें कर योग्य माना जाता है। इनका खुलासा रिटर्न में करना होता है। वहीं अगर बैंक की ओर से इस तरह की आय पर टीडीएस कटौती की गई है तो आपको फॉर्म 16A के अंतर्गत इस टीडीएस की डिटेल देनी होगी। सिर्फ सेविंग अकाउंट पर 10,000 रुपये तक की छूट मिलती है, बाकियों के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है।

डिविडेंड आय: कंपनी के शेयरों में निवेश करने पर कंपनियों की ओर से प्राप्त आय को लाभांश के रूप में जाना जाता है। ब्याज आय की ही तरह डिविडेंड आय को भी अन्य स्रोत से प्राप्त आय माना जाता है, एवं इसका भी उल्लेख इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में करना होता है। कंपनी अगर अपने प्रॉफिट में से डिविडेंड देती है तो इस नॉर्मल डिविडेंड माना जाता है, इस पर आपको कर नहीं देना होता है। वहीं अगर अन्य जरिए से कंपनी आपको डिविडेंड दे रही है तो 2 (22)(E) के तहत आपको इस पर टैक्स देना होगा।

पीपीएफ और टैक्स फ्री बॉण्ड के जरिए होने वाली आय: आमतौर पर लोग पीपीएफ, टैक्स फ्री बॉण्ड और एनएससी से होने वाली आय का आईटीआर में उल्लेख करना भूल जाते हैं। भले ही पीपीएफ से ब्याज आय कर योग्य नहीं होती है, फिर भी इसका खुलासा किया जाना चाहिए। टैक्स-फ्री बॉन्ड से प्राप्त ब्याज आय के मामले में भी यह लागू होता है, इसमें काफी सारे लोग निवेश करते हैं। एनएससी में भी निवेश का खुलासा आईटीआर में किया जाना चाहिए।

हाउस प्रॉपर्टी: बहुत सारे लोग अपने घरों को किराए पर देते हैं उससे आय प्राप्त करते हैं। स्वामित्व वाली संपत्ति पर अर्जित किराए के जरिए होने वाली आय कर योग्य होती है। इसे इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के अंतर्गत करयोग्य माना जाता है और इस राशि का उल्लेख आईटीआर में करना होता है।

कृषि आय: अगर आपको कृषि के जरिए 5,000 रुपये तक की आय होती है तो इस पर कर देय नहीं होता है, लेकिन आपको फिर भी इसका खुलासा आयकर रिटर्न में करना चाहिए। आईटीआर-1 के जरिए आपको इसका उल्लेख करना होता है। अगर कृषि योग्य आय 5000 रुपये से ज्यादा है तो आपको आईटीआर-2 के जरिए इसका उल्लेख करना होता है। इसे अन्य स्रोत से प्राप्त आय माना जाता है।


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