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SBI ने AT1 बॉन्ड के जरिए जुटाए 4,000 करोड़ रुपये, नए रेगुलेशन के बाद घरेलू मार्केट में आया पहला ऐसा बॉन्‍ड

देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने अपने AT1 बॉन्ड को जारी किया है और इसके जरिए बैंक को 4000 करोड़ रुपये की रकम प्राप्त हुई है। सेबी के नए रेगुलेशन के बाद यह घरेलू मार्केट में लॉन्च हुआ पहला AT1 बॉन्ड है।

By Abhishek PoddarEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 02:46 PM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 02:46 PM (IST)
SBI ने अपने AT1 बॉन्ड के जरिए 4,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के सबसे बड़े और प्रमुख बैंक State Bank of India (SBI) ने बेसल कंप्लेंट एडिशनल टियर 1 (AT1) बॉन्ड के जरिए बुधवार को 7.72 फीसद कूपन दर पर 4,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। मार्केट रेगुलेशन बॉडी SEBI द्वारा नए रेगुलेशन बनाए जाने के बाद घरेलू मार्केट में यह पहला AT1 बॉन्ड जारी किया गया है। SBI द्वारा जारी इस AT1 की इश्यू बोली 1,000 करोड़ रुपये से अधिक थी, और इसे निवेशकों की तरफ से भी काफी जबरदस्त प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। बॉन्ड के 1,000 करोड़ के बेस इश्यू साइज के मुकाबले बैंक को 10,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। AT1 बॉन्ड के जरिए प्राप्त हुई यह रकम देश के सबसे बड़े बैंक SBI पर निवेशकों के भरोसे का सूचक है। यह इस तरह के इंस्ट्रुमेंट के लिए जारीकर्ताओं के चयन में भारतीय निवेशकों की परिपक्वता को भी बहुत स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।

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निवेशकों के द्वारा प्राप्त हुई प्रतिक्रिया के आधार पर, बैंक ने 7.72 फीसद कूपन पर 4,000 करोड़ रुपये स्वीकार करने का फैसला लिया है। साल 2013 में बेसल III पूंजी नियमों के कार्यान्वयन के बाद से किसी भी भारतीय बैंक द्वारा जारी किए गए इस तरह के डेट पर यह अब तक का सबसे कम मूल्य निर्धारण है। AT1 बॉन्ड इंस्ट्रुमेंट प्रकृति में स्थायी है, हालांकि इसे जारीकर्ता द्वारा पांच साल बाद किसी भी एनिवर्सरी पर कॉल बैक किया जा सकता है।

फिलहाल SBI को लोकल क्रेडिंग रेटिंग एजेंसियों की तरफ से AAA क्रेडिट रेटिंग दी गई है, AT1 की ऑफरिंग के लिए देश के सबसे बड़े बैंक को AA+ रेटिंग दी गई है, जो इन इंस्ट्रुमेंट्स की हाइब्रिड और उच्च जोखिम वाली प्रकृति को देखते हुए इन इंस्ट्रुमेंट्स के लिए देश में सबसे अच्छी रेटिंग है।

AT1 बांड, जिसे परपेचुअल बॉन्ड भी कहा जाता है, में कोई परिपक्वता तिथि नहीं होती है, लेकिन कॉल विकल्प होता है। ऐसे बॉन्ड जारी करने वाले बॉन्ड को कॉल या रिडीम कर सकते हैं यदि उन्हें सस्ती दर पर पैसा मिल रहा है, खासकर जब ब्याज दरें गिर रही हों।


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