बुढ़ापे में नहीं सताएगी पैसों की चिंता, आपका घर दिलाएगा हर महीने निश्चित इनकम
रिवर्स मोर्गेज स्कीम को खास तौर पर 60 वर्ष या इससे अधिक की उम्र के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मुश्किल से मिलने वाली सरकारी नौकरियों के दौर में लोग आसानी से मिलने वाली प्राइवेट नौकरियों को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं। हालांकि प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य रिटायरमेंट के बाद के समय के लिए नियमित आय का बंदोबस्त करना होता है। जीवन भर (60 वर्ष तक) प्राइवेट नौकरी करने वाले लोग अपनी पूरी पूंजी घर खरीदने, बच्चों की पढ़ाई और उनकी शादी में खंपा देते हैं। ऐसे में वो अपने बुढ़ापे के लिए नियमित आमदनी का इंतजाम नहीं कर पाते हैं। वहीं पीएफ से मिलने वाली राशि भी इतनी पर्याप्त नहीं होती है कि आपका बुढ़ापा अच्छे से कट सके। ऐसे में अगर आपको भी यही चिंता सता रही है कि बुढ़ापे में आपको नियमित आय कैसे होगी और आपका खर्चा कैसे चलेगा तो हमारी यह खबर आपके काम की है। हम अपनी इस खबर में इसका समाधान दे रहे हैं।
अगर आपने प्राइवेट नौकरी करते हुए किसी भी तरह से घर खरीद लिया है तो यह आपके लिए एक बेहतर स्थिति है क्योंकि यही घर 60 वर्ष बाद नियमित आय का बंदोबस्त भी कर सकता है। कई बैंकों की ओर से चलाई जाने वाली रिवर्स मोर्गेज स्कीम आपको हर माह एक निश्चित रकम का विकल्पी देती है।
क्या है रिवर्स मोर्गेज स्कीम?
रिवर्स मोर्गेज स्कीम को खास तौर पर 60 वर्ष या इससे अधिक की उम्र के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जो कि अपने घर को बेचे बिना जीवनभर एक नियमित आय चाहते हैं। रिवर्स मोर्गेज होम लोन के उलट एक स्थिति होती है। होम लोन में आपको घर खरीदने की सूरत में हर महीने किश्त जमा करनी होती है जबकि रिवर्स मोर्गेज में घर के मालिक को अपने घर को किश्तों में बेचने का विकल्प मिलता है। इस स्कीम के अंतर्गत हाउस ओनर अपनी मृत्यु के बाद ऋणदाता को अपना घर बेचने पर सहमति जताकर नियमित अंतराल पर धन प्राप्त कर सकता है।
मिल सकता है कितना पैसा?
रिवर्स मोर्गेज स्कीम के अंतर्गत घर के मालिक को बैंक को यह पैसा वापस नहीं करना होता है। यानी इसमें घर के मालिक को अपनी प्रॉपर्टी एक तरह से गिरवी रखनी होती है। बैंक प्रॉपर्टी गिरवी रखने के बाद घर के मालिक को हर माह कितना पैसा देगा, यह प्रॉपर्टी की कीमत पर निर्भर करता है। इसके अलावा मालिक अपने घर में रह भी सकता है। इस स्कीम के तहत घर गिरवी रखने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह घर बैंक का हो जाता है। हालांकि अगर उसके परिवार वाले चाहें तो बैंक को घर की कीमत चुका कर उसे खरीद सकते हैं।