प्रवासी मजदूरों के लिए 50,000 घर बनाएंगी सरकारी तेल कंपनियां, मंत्रालय ने दिये निर्देश
Affordable Rental Housing Complexes मंत्रालय चाहता है कि उसके अधीन आने वाली आईओसी (IOC) हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL India Ltd) और ओएनजीसी (ONGC) जैसी तेल कंपनियां अपनी जमीन पर प्रवासी मजदूरों के लिए घर बनाएं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) जैसी सरकारी तेल कंपनियों से प्रवासी मजूदरों के लिए 50,000 घर बनाने के लिए कहा है। इन मकानों में प्रवासी मजदूर मामूली किराया देकर रह सकते हैं। कोरोनोवायरस लॉकडाउन के बीच गांवों में लाखों मजदूरों के पलायन के बाद किफायती किराये के आवास को विकसित करने के लिए सरकार की योजना के तहत मंत्रालय ने कंपनियों से पचास हजार मकान बनाने को कहा है।
मंत्रालय चाहता है कि उसके अधीन आने वाली आईओसी (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL India Ltd) और ओएनजीसी (ONGC) जैसी तेल कंपनियां अपनी जमीन पर प्रवासी मजदूरों के लिए घर बनाएं। इस मामले से जुड़ी बैठक में भाग लेने वाले तीन अधिकारियों ने यह बात कही है।
उन्होंने बताया कि इस बैठक की अध्यक्षता तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा की गई थी। उन्होंने सरकारी तेल कंपनियों को जल्द से जल्द हाउसिंग यूनिट्स बनाने की योजना तैयार करने के लिए कहा। मंत्रालय ने पांच अक्टूबर को इस बैठक के बारे में ट्वीट किया था। इसमें कहा गया, 'सरकार की किफायती किराये की आवासीय योजना के तहत तेल और गैस परियोजनाओं पर काम करने वाले प्रवासियों और शहरी गरीबों को किराए पर मकान देने में PSUs द्वारा किए गए प्रयासों की समीक्षा करने के लिए MoPNG और PSUs के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की।'
पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा निर्देश मिलने के बाद सरकारी तेल कंपनियों ने अपने प्रतिष्ठानों के पास ऐसी जगहों की तलाश शुरू कर दी है, जहां प्रवासी मजदूरों को किराए पर देने के लिए घर बनाए जा सकें।
भारत में किसी भी सरकारी एजेंसी के पास प्रवासी मजदूरों की कुल संख्या का आंकड़ा नहीं है। हालांकि, सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि 25 मार्च को लॉकडाउन लगने के बाद से करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों, बसों से और पैदल अपने घरों को लौटे हैं।