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7 तरह का होता है ITR फॉर्म, जानिए आपके लिए कौन सा जरूरी

आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है, इसमें देरी करने पर आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 11:52 AM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 07:03 AM (IST)
7 तरह का होता है ITR फॉर्म, जानिए आपके लिए कौन सा जरूरी
7 तरह का होता है ITR फॉर्म, जानिए आपके लिए कौन सा जरूरी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2018-19 (वित्त वर्ष 2017-18) के लिए आयकर रिटर्न के बाकी सभी फॉर्म अपने ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध करा दिए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पिछले पांच अप्रैल को इन फॉर्म्स की अधिसूचना जारी की थी। विभाग ने आयकर रिटर्न के सभी फॉर्म पोर्टल पर जारी होने की जानकारी एक बयान के जरिये दी है।

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सहज फॉर्म में क्या कुछ हुए बदलाव?

आइटीआर-1 सहज फॉर्म वेतनभोगी करदाताओं के लिए है। सहज फॉर्म 50 लाख रुपये तक वेतन पाने वाले करदाताओ को भरना होगा। सिर्फ एक आवासीय संपत्ति और एफडी या आरडी से अतिरिक्त होने पर वे इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस साल आइटीआर-1 यानी सहज फॉर्म में कर योग्य भत्तों, वेतन के रूप में लाभ और अतिरिक्त सुविधाओं की कीमत का ब्यौरा भी देना होगा। इस बार सभी वेतनभोगी करदाताओं को वेतन का ब्रेकअप अनिवार्य रूप से देना होगा।

7 तरह का होता है आईटीआर फॉर्म, जानिए आपके लिए कौन सा भरना जरूरी:

आईटीआर-1: इस फॉर्म को सहज फॉर्म कहा जाता है। यह फॉर्म व्यक्तिगत (इंडिविजुअल) करदाताओं के लिए होता है और इसे 50 लाख रुपए से कम की आय वाले करदाता ही भर सकते हैं। इसमें नौकरी से होने वाली आय, हाउस प्रॉपर्टी (सिर्फ एक घर) से होने वाली आय और अन्य आय (ब्याज एवं कमीशन से होने वाली आय) शामिल होती है।

आईटीआर-2: यह इंडिविजुअल्स और HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) के लिए होता है। इसे 50 लाख से ज्यादा की आमदनी वाला करदाता भर सकता है। इसमें बिजनेस और प्रोफेशन से होने वाली आय को शामिल नहीं किया जाता है।

आईटीआर-3: यह इंडिविजुअल्स और HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) दोनों के लिए होता है। इसमें सैलरी, बिजनेस, हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोतों से होने वाली आय को शामिल किया जाता है। आमतौर पर ऑडिट कराने वाले लोग इसी फॉर्म का इस्तेमाल करते हैं।

आईटीआर-4: इस फॉर्म को सुगम कहते हैं। इसमें प्रिजम्पटिव सोर्स ऑफ इनकम को शामिल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर समझें अगर आपके प्रोफेशन से 10 लाख की आय हुई है तो इसमें से 5 लाख को आय और 5 लाख को खर्च मान लिया जाएगा और इसी 5 लाख की आय पर आपको टैक्स देना होगा। वहीं बिजनेस करने वाले लोगों के मामले में यह आंकड़ा 8 फीसद और 92 फीसद का होता है। यानी आपकी कुल आय में से 8 फीसद हिस्से को आमदनी और 92 फीसद हिस्से को खर्च मान लिया जाता है और इसी 8 फीसद को आय माना जाएगा। अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि अगर पूरा पूरा भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जाए तो इसमें 2 फीसद की अतिरिक्त छूट मिल सकती है। यानी आपको 8 के बजाए 6 फीसद पर टैक्स देना होगा।

आईटीआर-5: यह पार्टनरशिप फर्म और एलएलपी के लिए होता है। इस फॉर्म को इंडिविजुअल, एचयूएफ और कंपनियां नहीं भर सकती हैं। इसमें किसी भी तरह से हुई आय को शामिल कर लिया जाता है।

आईटीआर-6: यह फॉर्म कंपनी और पीएलसी के लिए होता है और इसमें भी किसी भी सोर्स से हुई आय को शामिल किया जाता है।

आईटीआर-7: इस तरह का आईटीआर फॉर्म चैरिटेबल फर्म के लिए होता है। इसमें भी किसी भी सोर्स से हुई आय को शामिल किया जाता है।

गौरतलब है कि अगर आपने 31 जुलाई 2018 तक अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया तो आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यह निर्धारित अवधि के हिसाब से अलग अलग और अधिकतम 10,000 रुपए तक हो सकता है।


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