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लोकसभा में पास हुआ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल, जान लीजिए कैसे तय होती है इसकी राशि

अब संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को भी 20 लाख तक की टैक्स फ्री ग्रैच्युटी का रास्ता साफ हो गया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 05:19 PM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 10:27 PM (IST)
लोकसभा में पास हुआ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल, जान लीजिए कैसे तय होती है इसकी राशि
लोकसभा में पास हुआ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल, जान लीजिए कैसे तय होती है इसकी राशि

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। लोकसभा में आज दो अहम संसोधन बिलों को मंजूरी दी गई है जिनमें पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल और स्पेसिफिक रिलीफ अमेंडमेंट बिल प्रमुख हैं। अब संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को भी 20 लाख तक की टैक्स फ्री ग्रैच्युटी का रास्ता साफ हो गया है। अगर आप जानना चाहते हैं कि आखिर ग्रेच्युटी होती क्या है तो हम आपको अपनी इस खबर में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।

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इन संस्थानों पर लागू होता है नियम -

सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ग्रेच्युटी भुगतान कानून (1972) उन संस्थानों पर लागू होता है, जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इसका मुख्य मकसद कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा देना है। कई बार कर्मचारी सेवानिवृति की निर्धारित उम्र सीमा के पहले भी विकलांगता या अन्य किसी वजह से सेवानिवृत्त हो जाते हैं। ऐसे में ग्रेच्युटी आय की मुख्य जरिया बन सकती है।

ऐसे होती है ग्रेच्युटी की कैल्कुलेशन -

कानून के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी किसी संगठन में कम से कम पांच सालों तक लगातार काम करता है, तो कंपनी को उसे ग्रेच्युटी देनी होती है। हर साल की सेवा के लिए संगठन को अंतिम वेतन के 15 दिनों के बराबर राशि का भुगतान करना होता है।

वेतन का मतलब वेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और कमीशन इसमें शामिल होता है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति 6 महीने से अधिक समय तक काम करता है, तो इसे ग्रेच्युटी गणना के लिए एक पूर्ण वर्ष गिना जाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति 7 साल और 6 महीने की निरंतर सेवा पूर्ण करता है, तो ग्रेच्युटी का भुगतान 8 वर्षों के लिए किया जाएगा।

ग्रेच्युटी गणनाओं के लिए एक महीने का काम 26 दिनों के रूप में गिना जाता है। 15 दिन के वेतन की गणना के लिए मासिक वेतन में 15 का गुणा करके 26 से भाग दिया जाता है। इस संख्या को सेवा में वर्षों की संख्या से गुणा किया जाता है और जो राशि आती है, वह भत्ते के रूप में देय होती है।

यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाए -

यदि कोई कर्मचारी पांच साल की सेवा करने से पहले ही मर जाता है, तो न्यूनतम 5 वर्ष का क्लॉज उस पर लागू नहीं होता है। अर्जित राशि को कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारी को कंपनी को भुगतान करना होता है। ये सभी भुगतान कर्मचारी के अंतिम कार्य दिवस के 30 दिनों के भीतर करने होते हैं। यदि भुगतान में 30 दिनों से अधिक की देरी हो, तो कानून कहता है कि नियोक्ता को उस राशि पर ब्याज का भुगतान करना होगा।


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