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पेट्रोलियम कंपनियों की कमाई बढ़ी, सरकार का राजस्व बढ़ा; चुनावी माहौल में जनता को भी मिल सकती है राहत

मंगलवार को पेट्रोलियम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया है कि अप्रैल से दिसंबर2022 में केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर तरह-तरह के टैक्स लगा कर संयुक्त तौर पर 5.45 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Tue, 21 Mar 2023 08:25 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2023 08:25 PM (IST)
देश में निजी पेट्रोलियम कंपनियां निर्यात से खूब माल बटोर रही हैं।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले ने वैश्विक पेट्रोलियम सेक्टर में जिस तरह का हड़कंप मचाया है उससे निजी पेट्रोलियम कंपनियां निर्यात से खूब माल बटोर रही हैं, सरकारी तेल कंपनियां भी शुरुआती छमाही के बाद अब पेट्रोल-डीजल बिक्री से खासा मुनाफा कमा रही हैं और केंद्र व राज्य सरकारें भी पेट्रोलियम सब्सिडी से अपना खजाना भर रही हैं। अब जबकि लगातार कई राज्यों में चुनाव है तो उम्मीद लगाई जा रही है कि जनता को भी कुछ राहत दी जा सकती है।

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 पेट्रो उत्पादों की निर्यात में हुई बढ़ोतरी

देश में अंतिम बार पेट्रोल व डीजल की कीमतों का निर्धारण 06 अप्रैल, 2022 को हुआ था तब क्रूड की कीमत 108 डॉलर प्रति बैरल थी। पेट्रोलियम मंत्रालय का आंकड़ा बता रहा है कि अप्रैल, 2022 से जनवरी, 2023 (चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने) भारत ने 3,91,343 करोड़ रुपये की कमाई पेट्रो उत्पादों के निर्यात से की है।

वर्ष 2021-22 में भारत का कुल पेट्रोलियम निर्यात 3,31,801 करोड़ रुपये का था। यानी दस महीनों में ही 12 महीनों से ज्यादा निर्यात हो चुका है।

रूस से सस्ती दरों पर क्रूड खरीद रही निजी घरेलू कंपनियां

पेट्रोलियम उद्योग के जानकारों का कहना है कि देश से होने वाला 95 फीसद निर्यात रिलायंस व नयारा जैसी निजी पेट्रोलियम कंपनियां कर रही हैं। इस निर्यात का एक बड़ा हिस्सा यूरोपीय देशों को हो रहा है। निजी घरेलू कंपनियां रूस से सस्ती दरों पर क्रूड खरीद रही हैं और इसे तैयार पेट्रोल, डीजल, नाप्था, एटीएफ आदि यूरोपीय देशों को निर्यात कर रही हैं। भारत के कुल उत्पाद निर्यात में पेट्रोलियम सेक्टर की हिस्सेदरी पिछले एक वर्ष में 13 फीसद से बढ़ कर 21 फीसद हो गया है।

सरकार ने टैक्स लगा कर 5.45 लाख करोड़ रुपये की कमाई की

मंगलवार को पेट्रोलियम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया है कि अप्रैल से दिसंबर,2022 में केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर तरह-तरह के टैक्स लगा कर संयुक्त तौर पर 5.45 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है।

यह तब है जब केंद्र सरकार और कई भाजपा शासित राज्य सरकारों ने इस वर्ष पेट्रोल व डीजल पर शुल्कों में कटौती भी की है। केंद्र सरकार ने नवंबर, 2021 और मई, 2022 में दो बार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये और डीजल में 16 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है।

अब अगर सरकारी तेल कंपनियों की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का संयुक्त घाटा हुआ है। यह बताया गया था कि जब कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल से जुलाई, 2022 के दौरान जब 115 डॉलर प्रति बैरल के करीब थी तब कंपनियों को खुदरा कीमतों को बढ़ाने की इजाजत नहीं मिली थी।

तेल के खुदरा कीमतों में आ सकती है गिरावट

लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़े ही बताते हैं कि सितंबर, 2022 के बाद से भारत ने 90 डॉलर प्रति बैरल से कम कीमत पर क्रूड की खरीद की है। दिसंबर, 2022 में भारत की औसत क्रय कीमत 78 डॉलर, जनवरी-2023 में 80.91 डॉलर, फरवरी-2023 में 82.28 डॉलर और मार्च के महीने में अभी तक 80.02 डॉलर प्रति बैरल रही है।

सरकारी तेल कंपनियों को अभी पेट्रोल पर तकरीबन 11 रुपये प्रति लीटर और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर का लाभ हो रहा है। जाहिर है कि खुदरा कीमत घटाने की सूरत बन रही है।

 


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