जानिए सिबिल स्कोर और सिबिल रिपोर्ट के बीच क्या है अंतर
आज हम इस खबर में आपको सिबिल स्कोर और सिबिल रिपोर्ट के बारे में बता रहे हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले ग्राहक सिबिल स्कोर से परिचित हैं। चाहें क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की बात हो या बैंक से लोन लेने की बात आए सिबिल स्कोर का बड़ा महत्व है। इसी के जरिए आपके लोन मिलने का रास्ता साफ होता है, साथ ही आपको कितना लोन मिलेगा यह भी तय होता है। कई बार लोग सिबिल स्कोर और सिबिल रिपोर्ट में कंफ्यूज रहते हैं। हालांकि सिबिल स्कोर फिर भी जाना पहचाना नाम है लेकिन जब बात सिबिल रिपोर्ट की आती है तो लोग यहां थोड़ा अटक से जाते हैं। आज हम इस खबर में आपको सिबिल स्कोर और सिबिल रिपोर्ट के बारे में बता रहे हैं।
क्या है सिबिल रिपोर्ट
सिबिल रिपोर्ट में आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में पूरी जानकारी होती है। इसमें आपकी निजी जानकारी से लेकर कॉन्टैक्ट का डिटेल, आप कहां जॉब करते हैं, लोन खाता, क्रेडिट का ब्योरा शामिल होता है। सिबिल रिपोर्ट तैयार करने के लिए आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के पिछले 36 महीनों को देखा जाता है।
सिबिल स्कोर
सिबिल स्कोर तीन अंको से तय होता है। इससे यह जानकारी मिलती है कि आपने जो लोन लिया है उसका पेमेंट टाइम से किया है या नहीं, आप कभी लोन से चूके तो नहीं, आपने ब्याज का भुगतान पूरा किया है। आपने सभी अमाउंट एक बार ही अदा कर दिया है या मिनिमम अमाउंट चुकाया है। इसे लेकर हर जानकारी सिबिल स्कोर में होती है।
सिबिल स्कोर इस बात पर निर्भर करता है कि बीते 24 महीनों में आपने कर्ज के भुगतान में कैसा रुख अपनाया। सिबिल स्कोर तैयार करने के लिए ग्राहक के छह महीने से ज्यादा की क्रेडिट इंफॉर्मेशन जरूरी है। सिबिल स्कोर 300 और 900 के बीच होता है। 900 के करीब वाले स्कोर को लोन के लिए अच्छा माना जाता है।
लेकिन जो सबसे आम बात है वह यह कि सिबिल रिपोर्ट और सिबिल स्कोर दोनों से ही आपके लोन की पात्रता तय होती है, इसे देखने के बाद ही कर्जदाता लोन देते हैं। इसलिए अगर आप बैंक से लोन लेने की सोच रहे हैं या आपने पहले से लोन ले रखा है तो आप अपना सिबिल स्कोर मजबूत रखें। समय से कर्ज चुकाएं। कर्ज के भुगतान तारीख को मिस न करें।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप