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FD करवाने जा रहे हैं तो ध्‍यान रखें ये बातें, नहीं तो आ सकता है इनकम टैक्‍स का नोटिस

एफडी में जोखिम की कोई संभावना नहीं होती है। यही कारण है कि देश में बड़ी संख्या में लोग फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं। लेकिन हर काम में जागरुकता और सावधानी की आवश्यकता होती है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 07:14 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 10:30 AM (IST)
FD करवाने जा रहे हैं तो ध्‍यान रखें ये बातें, नहीं तो आ सकता है इनकम टैक्‍स का नोटिस
FD करवाने जा रहे हैं तो ध्‍यान रखें ये बातें, नहीं तो आ सकता है इनकम टैक्‍स का नोटिस

नई दिल्‍ली (बिजनेस डेस्‍क)। अगर आप अपने निवेश पर गारंटीड रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं तो फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD सबसे अच्छा विकल्प है। एफडी में जोखिम की कोई संभावना नहीं होती है। यही कारण है कि देश में बड़ी संख्या में लोग फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं। लेकिन, हर काम में जागरुकता और सावधानी की आवश्यकता होती है। आइए, हम आपको बताते हैं कि फिक्स्ड डिपॉजिट कराते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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आमतौर पर यह गलत धारणा बनी हुई है कि अगर अपनी नाबालिग संतान या गैर कामकाजी पति/पत्नी के नाम एफडी में निवेश करते हैं तो आपको प्राप्‍त होने वाले पर टैक्‍स नहीं देना होगा। आपको बता दें कि, यदि आप अपनी नाबालिग संतान या गैर कामकाजी पति/पत्नी के नाम पर एफडी करवा रहे हैं तो अर्जित ब्याज को आपकी आय के रूप में गिना जाएगा और इस पर कर लगेगा।

आपको अपना आयकर रिटर्न भरते समय एफडी से अर्जित आय का उल्लेख करना ही होगा क्योंकि एफडी से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से कर योग्य होता है। अपनी कुल आय में यह ब्याज आय जोड़ें और फिर आपकी जो कुल आय होगी उस पर योग्य स्लैब दरों के अनुसार कर लगेगा। आयकर रिटर्न भरते समय अन्य स्रोतों से आय के कॉलम में आपको एफडी से अर्जित आय बतानी होगी। बैंक द्वारा एफडी पर टैक्स उस समय काटा जाता है जब वे आपके खाते में ब्याज को क्रेडिट करते हैं। बैंक हर साल के अंत में यह टीडीएस काटता है।

साथ ही आपको यह भी बता दें कि, भले ही आपके बैंक ने टीडीएस काट लिया हो लेकिन इसके बावजूद आपको अपने आयकर रिटर्न में अपनी ब्याज आय का विवरण देना होगा। अगर आप 20 पर्सेंट या 30 पर्सेंट के उच्च कर स्लैब में आते हैं, तो आपको अतिरिक्त कर का भुगतान करना होगा।

आपको बता दें कि, यदि आपने अपने आयकर रिटर्न में ब्याज आय का उल्लेख नहीं किया हैं, तो यह 26AS स्टेटमेंट में कर क्रेडिट स्टेटमेंट होगा और आपके द्वारा दायर रिटर्न को बेमेल दिखाया जाएगा। इस पर आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है।

यदि आपकी एफडी की ब्याज आय पर कोई टीडीएस नहीं काटा जा रहा, तब भी आपको अपनी कुल आय में ब्याज आय को शामिल करना चाहिए और उस पर टैक्स देना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते और अपनी एफडी के मैच्योर होने का इंतजार कर रहे हैं, तो आपको टैक्स के रूप में बड़ी राशि भी देनी पड़ सकती हैं। क्योंकि, जब आपकी कुल ब्याज आय आएगी तो यह आपको उच्च टैक्स स्लैब में ढकेल सकती है और आपको उच्च कर का भुगतान करना पड़ सकता है।

कई बार लोग टीडीएस बचाने के लिए एक ही बैंक की दो शाखाओं में निवेश करना उचित समझते हैं। लेकिन, इस तरह आपका टीडीएस नहीं बच पाएगा। क्योंकि, अब बैंक अपनी शाखाओं की सभी एफडी पर ब्याज आय को इकट्ठा करते हैं और देखते हैं कि साल के अंत में ब्याज आय 10,000 रुपये से अधिक है कि, नहीं। इसलिए एक ही बैंक की दो शाखाओं निवेश करके आप टीडीएस से नहीं बच सकते हैं। 

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