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टैक्स बचाने के लिए करते हैं ELSS में निवेश, जानिए फायदे और नुकसान

अगर आप टैक्स बचाने के लिए किसी बेहतर योजना की तलाश में हैं तो ईएलएसएस एक बेहतर विकल्प हो सकता है

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 15 Nov 2017 06:46 PM (IST)Updated: Wed, 15 Nov 2017 06:54 PM (IST)
टैक्स बचाने के लिए करते हैं ELSS में निवेश, जानिए फायदे और नुकसान
टैक्स बचाने के लिए करते हैं ELSS में निवेश, जानिए फायदे और नुकसान

नई दिल्ली (जेएनएन)। शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे आसान और सुरक्षित विकल्प म्युचुअल फंड माना जाता है। म्यूचुअल फंड भी कई तरह के होते हैं। इनमें से टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड्स को इंक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएसएस) भी कहा जाता हैं। ये एक तरह से डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स होते हैं। इनमें लगाया गया पैसा शेयर्स में निवेश किया जाता है। इसपर मिलने वाला रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहता है।

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क्या कहना है एक्सपर्ट का:

निवेश और टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का मानना है कि लंबी अवधि के लिए ईएलएसएस का चुनाव बेहतर है क्योंकि सभी निवेश विकल्पों की तुलना में इक्विटी पर मिलने वाला रिटर्न अच्छा होता है। साथ ही इसकी मदद से निवेश अपने लॉन्ग टर्म गोल मसलन, लंबी अवधि के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

जानिए कितना फायदेमंद है ईएलएसएस में निवेश:

  • पीपीएफ की मैच्योशरिटी अवधि 15 साल और यूलिप की पांच साल होती है, लेकिन ईएलएसएस में यह महज तीन वर्ष होती है। यह इनकम टैक्स की धारा 80सी से जुड़े निवेश विकल्पों में सबसे कम है।
  • जोखिम लेने वालों के लिए ईएलएसएस अच्छा विकल्प माना जाता है। इसमें लिक्विडिटी और पारदर्शिता होती है।
  • निवेशक को इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1,50,000 रुपए तक की कर कटौती का फायदा मिलता है।
  • अगर आप सिस्टीमेटिक तरीके से निवेश करते हैं तो आपके लिए यहां एसआईपी (सिस्टेसमेटिक इंवेस्टेमेंट प्लान) का भी विकल्पल है। इस तरह छोटी-छोटी बचत से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने लिए यह एक अच्छा विकल्प है। इसमें आप महज 500 रुपये महीने की राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। साथ ही इसपर मिलने वाला रिटर्न कर छूट के दायरे में आता है।
  • एसेट एलोकेशन के मुताबिक ईएलएसएस म्युचुअल फंड का वर्गीकरण इक्विटी फंड के अंतर्गत किया गया है। एक वर्ष के बाद इनपर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री होता है। इसलिए रिटर्न, डिविडेंड और इनपर मिलने वाला कैपिटल गेन भी टैक्स फ्री होता है।
  • ये फंड्स लंबी अवधि के निवेश के लिए बेहतर होते हैं। इसपर मिलने वाला रिटर्न महंगाई को मात देने की क्षमता रखता है। जिसकी मदद से आप घर की खरीदारी,शादी की योजना या बच्चे की पढ़ाई के खर्चों की प्लानिंग कर सकते हैं।
  • इसमें आप या तो लंप-सम (एकमुश्त) निवेश या फिर एसआईपी का चयन कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप 60 हजार रुपये सालाना टैक्स के रूप में बचाना चाहते हैं। ऐसे में या तो 60 हजार एक बार में (लंप सम) या फिर5,000 रुपये सालाना की एसआईपी का चयन किया जा सकता है। इससे आपको उस वित्त वर्ष के दौरान टैक्स बेनिफ्ट भी मिल जाएगा।
  • ईएलएसएस में फंड मैनेजमेंट फीस या एक्सपेंस रेशियो के रूप में शुल्क लगाया जाता है। यह अधिकतम 2.5 फीसद हो सकता है और यह लागत स्कीम की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) में एडजस्ट की जाती है, न कि अलग से ली जाती है।
  • इसमें निवेश करने की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। आप जितना चाहे इसमें निवेश कर सकते हैं। यह एक अच्छी बात नहीं है।
  • एसआईपी में निवेश करने से आप कभी भी अपनी एसआईपी शुरू या रोक सकते हैं।
  • इसमें इंडिविजुअल्स और हिंदु अनडिवाइडेड फैमली (एचयूएफ) भी निवेश कर सकते हैं।

क्या हैं नुकसान:

  • इसमें एक चुनौती यह रहती है कि फंड का चुनाव करना मुश्किल होता है।
  • इनमें निवेश करने के लिए कई दस्जावेजों की जरूरत पड़ती है।
  • ईएलएसएस पर मिलने वाले रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती क्योंकि इसके जोखिम इक्विटी मार्केट संबंधित होते हैं।
  • इसमें मैच्योरिटी से पहले निकासी संभव नहीं है
  • इसमें लॉक इन पीरियड के दौरान किसी अन्य फंड या एसेट क्लास में स्विच नहीं किया जा सकता है।
  • इसमें निवेश के समय और जिस वर्ष निकासी की जाती है उस दौरान टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।

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