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कैसे करें SIP की शुरुआत, कब निवेश बढ़ाएं कब कर दें बंद

लंबी अवधि में अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए एसआईपी में निवेश का चयन करें। इसमें रोजाना, साप्ताहिक, पाक्षिक और तिमाही आधार पर निवेश कर सकते हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 22 Sep 2017 02:50 PM (IST)Updated: Mon, 25 Sep 2017 12:19 PM (IST)
कैसे करें SIP की शुरुआत, कब निवेश बढ़ाएं कब कर दें बंद
कैसे करें SIP की शुरुआत, कब निवेश बढ़ाएं कब कर दें बंद

नई दिल्ली (जेएनएन)। सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान पूंजी को बढ़ाने के लिए एक बेहतर निवेश विकल्प है। इसमें निवेश की शुरुआत महज 500 रुपये की राशि के साथ भी की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती महंगाई और भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए इस निवेश राशि को अपनी आय में वृद्धि के अनुसार ही बढ़ाते रहना चाहिए।

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सिप में निवेश म्युचुअल फंड के माध्यम से डेट और इक्विटी दोनों में किया जा सकता है। इसके जरिए निवेशक आम तौर पर 12 से 13 फीसद के रिटर्न का अनुमान लगाता है। म्युचुअल फंड ने एसआईपी को इस तरह से बना दिया है कि निवेशक अपनी जरूरतों के हिसाब से इसमें बदवाल कर सकें। साथ ही एसआईपी की मदद से रोजाना, साप्ताहिक, पाक्षिक और तिमाही आधार पर निवेश किया जा सकता है।

रजिस्ट्रेशन-
एसआईपी में रजिस्टर करने के लिए सबसे पहले एक एनरोल्मेंट फॉर्म भरें। इसके बाद इसमें स्कीम का नाम, एसआईपी की तारीख, राशि, शुरू करने की तारीख और फ्रिक्वेंसी डालें। इसमें बेहतर होगा कि आप पर्पेचुअल ऑप्शन (निरंतर विकल्प) का चयन करें ताकि आपकी एसआईपी बीच में न रुके। अगर इस तरह का विकल्प उपलब्ध नहीं है तो आप ऐसी तारीख का चुनाव करें तो लंबी अवधि के लिए हो।

स्टेप अप एसआईपी
जिस तरह से आपकी आय में वृद्धि हो उस हिसाब से एसआईपी में निवेश की गई राशि को बढ़ा दें। एसआईपी रजिस्ट्रेशन के दौरान स्टेप अप एसआईपी फॉर्म को भरें ताकि इस तरह की सुविधा का लाभ उठाया जा सके। इस सुविधा को टॉप अप एसआईपी भी कहा जाता है। स्टेप अप एसआईपी नियमित तौर पर निवेश बढ़ाने के लिए बेहतर होती है। यहां निवेशक, तिमाही, छमाही या सालाना एसआईपी में वृद्धि कर सकते हैं। इसमें निवेशक शुरुआती निवेश और आखिरी निवेश राशि का चयन कर सकते हैं।

पॉज एसआईपी
इसमें निवेशक आर्थिक दिक्कतों के चलते कुछ समय के लिए एसआईपी बंद कर सकते हैं। लेकिन कितने समय के लिए एसआईपी बंद कर सकते हैं ये फंड हाउस तय करता है। इस स्थिति के लिए पॉज एसआईपी फॉर्म को भरें। इस फॉर्म में उस अवधि को स्पष्ट करें जब आप एसआईपी रोकना चाहते हैं। इसके लिए बैंक अधिकार पत्र को भर कर जमा करवाएं।

फ्लेक्सी एसआईपी-
अधिकांश फंड हाउस फ्लेक्सिबल एसआईपी विकल्प का प्रावधान देते हैं। इसके जरिए निवेशक एसआईपी राशि में समय समय पर बदलाव कर सकता है। यदि निवेशक तय राशि का निवेश नहीं करना चाहता है तो फ्लेक्सी एसआईपी का चयन किया जा सकता है। इसमें प्रत्येक महीने निवेश में बदलाव कर सकते हैं। साथ ही निवेशक अपनी वित्तीय स्थिति के अनुरूप निवेश कर सकता है। ये शुरुआती निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है। इसके लिए निवेशक को फ्लेक्सी फॉर्म भरना होगा और उसमें न्यूनतम और अधिकतम राशि एसआईपी किश्त स्पष्ट करनी होगी।

पर्पेच्युअल एसआईपी
यह एसआईपी दीर्घ अवधि के लिए होती है। छोटी अवधि में हम कई बार एसआईपी भरना भूल जाते हैं। लेकिन पर्पेच्युअल एसआईपी से निवेश की नियमितता बनी रहती है। कम उम्र के लोगों के लिए पर्पेच्युअल एसआईपी बेहतर साबित होती है।


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