TRAI ने इंटरकनेक्शन नियमों का संशोधित मसौदा जारी किया
2016 में रिलायंस जियो के लांच होने के बाद इंटरकनेक्शन का मुद्दा रिलायंस जियो तथा दूसरी टेलीकॉम कंपनियों-भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया आदि के बीच झगड़े की बड़ी वजह रहा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने टेलीकॉम कंपनियों के बीच इंटरकनेक्शन पोर्ट के आदान-प्रदान के नए नियमों का मसौदा जारी किया है। इनके बारे में 18 मई तक उद्योग की राय मांगी है।
‘दूरसंचार इंटरकनेक्शन संशोधन नियम 2018’ के मसौदे के मुताबिक, यदि किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता का प्रस्तावित क्षमता उपयोग दो महीने में 85 फीसद से अधिक होने की संभावना हो तो वो दूसरे सेवा प्रदाता से अतिरिक्त पोर्ट की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में प्रारंभिक इंटरकनेक्शन तथा उसमें वृद्धि के लिए पोर्ट की व्यवस्था करने की समयावधि को बढ़ाकर अधिकतम 42 कार्यदिवस किए जाने का प्रस्ताव है।
ट्राई के अनुसार, ‘ऑपरेटर को इंटरकनेक्टिंग सेवा प्रदाता को हर छह महीने में (1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को) व्यस्त घंटों के दौरान प्रत्येक इंटरकनेक्शन प्वाइंट से होने वाली संभावित आउटगोइंग कॉल्स का अनुमान बताना होगा। इस तरह का पहला अनुमान इन नियमों के लागू होने के दो महीने के भीतर देना होगा।’
गौरतलब है कि 2016 में रिलायंस जियो के लांच होने के बाद इंटरकनेक्शन का मुद्दा रिलायंस जियो तथा दूसरी टेलीकॉम कंपनियों-भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया आदि के बीच झगड़े की बड़ी वजह रहा था। रिलायंस जियो ने दूसरी कंपनियों पर पर्याप्त इंटरकनेक्ट पोर्ट न दिए जाने का आरोप लगाया था जिसके कारण जियो की कॉल ड्रॉप हो रही थीं। दूसरी ओर भारती एयरटेल आदि का कहना था कि जियो के मुफ्त वॉइस कॉल ऑफर की वजह से कॉल ट्रैफिक जाम हुआ है।
तब ट्राई ने रिलायंस जियो की शिकायत को सही माना था और सेवा की गुणवत्ता के नियम तोड़ने तथा लाइसेंस की शर्तो का उल्लंघन करने के लिए एयरटेल व वोडाफोन में से प्रत्येक पर 1,050 करोड़ रुपये और आइडिया पर 950 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।