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GST दरों में कटौती से सरकार को लग सकती है 70,000 करोड़ रुपये की चपत: सुशील मोदी

जीएसटी काउंसिल की हालिया बैठक में करीब 400 से अधिक सामानों के टैक्स रेट में कटौती किए जाने से सरकार को अगले तीन से चार महीनों में 70,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 07:38 PM (IST)

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) काउंसिल की हालिया बैठक में करीब 400 से अधिक सामानों के टैक्स रेट में कटौती किए जाने की वजह से सरकार को अगले तीन-चार महीनों तक राजस्व संग्रह में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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जीएसटी को लागू करने वाली समिति के चेयरमैन और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा दरों में कटौती की वजह से अगले तीन-चार महीनों के दौरान राजस्व संग्रह में करीब 70,000 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है।

काउंसिल की पिछली बैठक में कुल 450 सामानों के दरों को कम कर दिया गया था। मोदी ने कहा कि दरों में होने वाली कटौती की वजह से राज्यों के राजस्व में नुकसान होगा और उन्हें केंद्र की तरफ मुआवजा दिया जाता रहा है।

कोलकाता में आईसीएआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जुलाई में सरकार को जीएसटी से 96,483 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जिसके अगले महीने बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

गौरतलब है कि जुलाई में जमा हुए जीएसटी राजस्व के 96483 करोड़ रुपये में से 15877 करोड़ रुपये सीजीएसटी, 22293 करोड़ रुपये एसजीएसटी, 49951 करोड़ रुपये आइजीएसटी से मिले।

मोदी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल राजस्व संग्रह में स्थिरता आने के बाद 12 फीसद और 18 फीसद वाले स्लैब को मिलाकर 14-15 फीसद वाले स्लैब की शुरुआत कर सकती है।

मोदी ने कहा कि भारत जैसे देश में एक दर वाली जीएसटी नहीं हो सकती। गौरतलब है कि विपक्षी दल जीएसटी की आलोचना करते हुए देश में एक स्लैब वाले कर व्यवस्था की मांग करते रहे हैं।

उन्होंने कहा, '28 फीसद वाले स्लैब में मौजूदा सामानों की संख्या में कटौती की जा सकती है लेकिन राज्यों को सिन गुड्स (सिगरेट, शराब, तंबाकू) और लग्जरी सामानों पर सेस और सरचार्ज लगाना होगा।'

पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के तहत लाए जाने को लेकर मोदी ने कहा कि राजस्व संग्रह में स्थिरता आने के बाद ऐसा किया जा सकतात है। उन्होंने कहा, 'पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को अगर जीएसटी के तहत लाया जाता है तो लगता नहीं कि इसका असर होगा क्योंकि अब इनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ी हुई हैं और कोई भी राज्य रेवेन्यू के मामले में नुकसान उठाना पसंद करेगा क्योंकि वह उस पर सेस लगा सकते हैं।'

मोदी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह जल्दी होने जा रहा है। इसमें लंबा समय लगेगा।'

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