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2014 में अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र मचा सकता था चौतरफा तबाही: मोदी

पीएम मोदी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेत पत्र लाने से चौतरफा तबाही मच सकती थी

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 04:33 PM (IST)

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र जारी करने से देश की मुश्किलें कम होने की बजाए और बढ़ जाती। एक पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेत पत्र नहीं लाए जाने के सवाल के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि ऐसा करने से चौतरफा तबाही मच सकती थी।

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मोदी ने कहा कि कई विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि देश की आर्थिक हालत को लेकर श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 2014 के बीजेपी के चुनावी प्रचार का मुख्य एजेंटा देश की अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन था, जो कि ''अर्थशास्त्री'' प्रधानमंत्री और ''सब कुछ जानने वाले'' वित्त मंत्री के कार्यकाल में हुआ।

मोदी ने कहा, 'हम सभी जानते थे कि अर्थव्यवस्था डंवाडोल थी और चूंकि हम सरकार में नहीं थे, इसलिए जाहिर तौर पर हमारे पास अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। लेकिन सरकार बनाने के बाद जो हमने देखा, उसे देखकर हम चौंक गए!'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से अधिक खराब थी। स्थिति बेहद दयनीय थी। यहां तक कि बजट के आंकड़े भी संदिग्ध थे।'

मोदी ने कहा कि ऐसी स्थिति में हमारे सामने दो ही विकल्प थे। या तो हम ''राजनीति'' से चलते या फिर ''राष्ट्रनीति'' का पालन करते। लेकिन आपको याद होगा कि मैने कहा था, 'सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं झुकने दूंगा। और हमारी सरकार ने इस वादे को पूरा किया।'

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में देश की आर्थिक हालत पर राजनीति ज्यादा आसान थी और यह हमारे लिए फायदेमंद भी होता। लेकिन दूसरी तरफ राष्ट्रनीति थी ''और हमने ''भारत पहले'' को चुना।

तो क्या आंकड़े सामने आने से मुश्किल बढ़ जाती?

इस सवाल का जवाब देते हुए मोदी ने कहा, ''भारतीय अर्थव्यवस्था के विघटन के आंकड़े अविश्वसनीय थे। इसमें चौतरफा संकट पैदा करने की क्षमता थी।''  मोदी ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था में विघटन का ब्योरा अविश्वसनीय था। इससे चारों तरफ संकट गहराने की संभावना थी। 2014 में उद्योग में पलायन का दौर था। भारत पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था। विशेषज्ञों का मानना था कि ब्रिक्स से 'आई' का लोप हो जाएगा। लोगों में हताशा और निराशा का माहौल था।"

उन्होंने कहा, "अब ऐसे हालात में नुकसान के जटिल तथ्यों को लेकर श्वेत पत्र लाने के बारे में कल्पना कीजिए। यह परेशानियों को कम करने के बजाय उसको और कई गुना बढ़ा देता।"

मोदी ने कहा कि हमें राजनीति आरोपों को सहा और राजनीतिक नुकसान को स्वीकार किया लेकिन देश को कोई नुकसान नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि इस नीति के जो नतीजे आए, वह सभी के सामने हैं। आज भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है। 


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