जीएसटी से वर्ष 2018-19 में 13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद: पीयूष गोयल
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों (अप्रैल-मई, 2018) में राजकोषीय घाटा 3.455 लाख करोड़ रुपये रहा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। राजकोषीय संतुलन के लक्ष्यों को लेकर चिंतित सरकार अब थोड़ा राहत महसूस कर सकती है। खास तौर पर जीएसटी संग्रह के ताजा आंकड़े बेहद उत्साहजनक हैं और वित्त मंत्रालय के अधिकारी मानने लगे हैं कि अगर जीएसटी संग्रह यूं ही बढ़ता रहा तो चालू वित्त वर्ष के दौरान 3.3 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि जीएसटी से वर्ष 2018-19 में 13 लाख करोड़ रुपये का राजस्व आएगा। जून, 2018 में जीएसटी मद में 95,610 करोड़ रुपये का राजस्व आया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों (अप्रैल-मई, 2018) में राजकोषीय घाटा 3.455 लाख करोड़ रुपये रहा है जो पूरे साल के लिए तय लक्ष्य 6.243 लाख करोड़ रुपये का 55 फीसद है। ऐसे में चिंतित होना लाजिमी है। स्थिति पर नियंत्रण के लिए कर संग्रह बढ़ना बेहद जरूरी है। गोयल ने रविवार को विश्वास जताया कि इस वित्त वर्ष के दौरान औसतन जीएसटी संग्रह 1.10 लाख करोड़ रुपये प्रति महीने का रहेगा। इस तरह से इस वर्ष 13 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जीएसटी के जरिये आ सकता है। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले काफी अच्छा होगा। जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद पिछले वित्त वर्ष के नौ महीनों में जीएसटी कर संग्रह 8.2 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो औसतन 90 हजार करोड़ रुपये मासिक बनता है। अप्रैल, 2018 में पहली बार मासिक जीएसटी कर संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुए 1.03 लाख करोड़ रुपये रहा था। उसके बाद इसमें कमी आई है।
वित्त सचिव हसमुख अढिया का भी मानना है कि हर महीने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का जीएसटी संग्रह होना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पहले दो-तीन महीनों तक केंद्रीय राजस्व की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती इसलिए राजकोषीय घाटे का स्तर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अच्छा नहीं दिखता। बाद में विनिवेश कार्यक्रम के रफ्तार पकड़ने और प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने से कुल राजस्व बढ़ता है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भी ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन बाद में 3.5 फीसद के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था। जहां तक चालू वित्त वर्ष की बात है तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार जीएसटी और विनिवेश कार्यक्रम के भरोसे है।