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चिट फंड और पोंजी स्कीम से धोखाधड़ी करने वालों अब हो सकती है 10 साल तक की जेल

यदि कोई डिपॉजिट स्कीम चलाने वाली संस्था या कंपनी फर्जीवाड़ा कर जमाकर्ताओं की धनराशि वापस नहीं करती है तो उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 11:09 AM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 11:09 AM (IST)
चिट फंड और पोंजी स्कीम से धोखाधड़ी करने वालों अब हो सकती है 10 साल तक की जेल

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चिट फंड और पोंजी स्कीम चलाकर फर्जीवाड़ा कर आम लोगों की गाढ़ी कमाई हजम करने वालों को दस साल तक की सजा हो सकती है। सरकार ऐसी योजनाएं चलाने वालों पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाने जा रही है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पोन राधाकृष्णन ने बुधवार को लोकसभा में ‘द बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम बिल-2018’ पेश किया।

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इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि अगर कोई डिपॉजिट स्कीम चलाने वाली संस्था या कंपनी फर्जीवाड़ा कर जमाकर्ताओं की धनराशि वापस नहीं करती है तो उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। जमाकर्ताओं को अविलंब उनकी राशि लौटाने का भी प्रावधान इस विधेयक में किया गया है। खास बात यह है कि पोंजी स्कीम के मामलों की जांच सीबीआइ करेगी। इन मामलों में करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।

सरकार ने यह कानून बनाने के लिए ऐसे समय कदम उठाया है, जब देश के कई क्षेत्रों से पोंजी स्कीम के जरिये हजारों छोटे निवेशकों की धनराशि डूबने के मामले सामने आए हैं। खासकर बंगाल में शारदा चिटफंड मामला काफी चर्चा में रहा है। दरअसल गैर-बैंकिंग कंपनियां आम लोगों से जमा राशियां स्वीकार कर सकती हैं। इसके लिए अलग-अलग तरह की स्कीमें चलती हैं। ये स्कीम रिजर्व बैंक से लेकर, सेबी और राज्य सरकारों के दायरे में आती हैं। अलग -अलग कानून तथा नियामक होने की वजह से इन डिपॉजिट योजनाओं का नियमन ठीक तरह से नहीं हो पाता है। इस कारण पोंजी स्कीमें चलाने वाली कंपनियों को सक्रिय होने का मौका मिल जाता है। इस वजह से सरकार नियमों से बाहर चल रही ऐसी डिपॉजिट स्कीम के नियमन के लिए कानून बना रही है। इस कानून के तहत दोषी को दस साल की सजा और करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

गौरतलब है कि पोंजी स्कीम चलाने वाले निवेशकों को अल्पावधि में ही ऊंचे रिटर्न का लालच देकर उनसे धनराशि जमा करा लेते हैं। वे कई लोगों से जमा राशि लेते हैं और कुछ लोगों को उच्च रिटर्न दे देते हैं। हालांकि जब सभी निवेशकों को धनराशि वापस करने की बारी आती है तो वे फर्जीवाड़ा कर निकल जाते हैं।

सरकार ने इस विधेयक में उपयुक्त प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव भी किया है। ये प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेंगे कि जब कोई पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनी या संस्था भाग खड़ी होती है तो उसकी संपत्ति को अटैच कर निवेशकों का पैसा किस तरह वापस किया जाए।


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