GST दरों को और तर्कसंगत बनाने के होंगे प्रयास, 19 जुलाई को होगी बैठक
जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 19 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जीएसटी का एक साल पूरा होने के बाद सरकार दूसरे साल में भी विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दरें तर्कसंगत बनाने पर फोकस जारी रखेगी। माना जा रहा है कि इसी दिशा में कदम उठाते हुए जीएसटी काउंसिल की आगामी 19 जुलाई को होने वाली बैठक में जीएसटी की प्रतिशत टैक्स स्लैब में शामिल कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की समीक्षा हो सकती है। ऐसा होने पर इस स्लैब में शामिल उत्पादों की संख्या और कम हो सकती है।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 19 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी। इस बात के भी आसार हैं तब तक वित्त मंत्री अरुण जेटली स्वस्थ होकर वापस वित्त मंत्रालय का भार संभाल लेंगे और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यह बैठक करें।
सूत्रों ने कहा कि वैसे तो बैठक का फोकस जीएसटी की रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म जैसे विवादित मुद्दों पर आगे की राह तय करने और अब तक राजस्व संग्रह के ट्रेंड की समीक्षा करने पर रहेगा लेकिन इसमें कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर की समीक्षा भी की सकती है। ऐसी स्थिति में इस बात की गुंजाइश है कि कुछ वस्तुओं जैसे पेंट और सीमेंट तथा मनोरंजन सेवा की श्रेणी में आने वाले मूवी टिकट पर जीएसटी की दरें कम करने पर विचार किया जा सकता है। गौरतलब है कि उद्योग जगत इन उत्पादों पर जीएसटी की कटौती की वकालत कर सकता है। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
चीनी पर सेस लगाने को अटर्नी जनरल की राय का इंतजार
अगले महीने जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है लेकिन अभी तक चीनी पर सेस लगाने के मसले पर वित्त मंत्रालय को अटॉर्नी जनरल की राय का इंतजार है। चीनी पर पांच फीसद जीएसटी के साथ तीन रुपये प्रति किलो की दर से सेस लगाने का प्रस्ताव है। लेकिन जीएसटी काउंसिल में लाने से पहले वित्त मंत्रालय ने इस पर अटॉर्नी जनरल की राय मांगी थी। पिछले महीने हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में चीनी पर सेस लगाने का प्रस्ताव आया था।
लेकिन काउंसिल को इसका अधिकार है या नहीं, यह तय नहीं हो पा रहा था। अंतत: काउंसिल ने वित्त मंत्रालय के मार्फत कानून मंत्रालय के पास राय लेने के लिए प्रस्ताव भेजा। हालांकि मंत्रालय सेस लगाने के हक में था, लेकिन उसने कोई निर्णय न लेते हुए मामले को अटॉर्नी जनरल के पास भेज दिया। उधर, सेस लगाने का कोई फैसला न होने के बावजूद बाजार में चीनी के दाम बढ़ने लगे हैं। पिछले 15 दिनों में चीनी के दाम पांच रुपये से आठ रुपये प्रति किलो बढ़ चुके हैं। बाजार में इसके दाम 40-42 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रहे हैं। अगर सेस लगाने पर अटॉर्नी जनरल सहमति जता देते हैं तो चीनी के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
सरकार का अनुमान है कि सेस से लगभग 6700 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं जिनका इस्तेमाल चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए किया जा सकता है।
गौरतलब है कि जीएसटी की व्यवस्था के तहत सिर्फ लक्जरी और अवगुणी वस्तुओं पर ही जीएसटी की अधिकतम प्रतिशत दर के अलावासेस लगाने का प्रावधान है। इसे क्षतिपूर्ति सेस के तौर पर जाना जाता है जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार राज्यों को होने वाली राजस्व क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए करती है।