एयर इंडिया के लिए सही कीमत न मिलने पर इसे बेचने का फैसला हो सकता है वापस
सरकार ने 28 मार्च को कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन के विनिवेश की प्रक्रिया शुरू की थी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए सही कीमत नहीं मिलने पर इसे बेचने का वापस लिया जा सकता है। नागरिक उड्डयन सचिव आर. एन. चौबे ने मंगलवार को यह बात कही। चौबे ने कहा, ‘अगर बोली पर्याप्त नहीं लगती है, तो सरकार को यह अधिकार है कि वह एयर इंडिया को बेचे या नहीं।’ हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि कंपनी के लिए अच्छी बोली लगेगी। एयर इंडिया के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआइ) जमा कराने के लिए 31 मई अंतिम तारीख है।
आरएफपी 15 जून के बाद जारी किया जाएगा। सचिव ने बताया कि सबसे बड़े बोलीकर्ता के बारे में अगस्त के आखिर तक पता चलेगा। हालांकि सबसे बड़ा बोलीकर्ता सफल बोलीकर्ता हो, यह जरूरी नहीं। ट्रांजेक्शन एडवाइजर अंस्र्ट एंड यंग कंपनी के मूल्य का आकलन करेगी। उसी आधार पर कीमत का होगा। एयर इंडिया के कर्मचारी यूनियनों द्वारा विनिवेश के विरोध पर चौबे ने कहा कि उन्हें पता होना चाहिए कि दुनियाभर में एयरलाइंस ने निजीकरण के बाद बेहतर प्रदर्शन किया है। सरकार ने 28 मार्च को कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन के विनिवेश की प्रक्रिया शुरू की थी।
सरकार 76 फीसद हिस्सेदारी के विनिवेश के साथ प्रबंधन निजी कंपनियों के हाथों में देना चाहती है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि विनिवेश के बाद 24 फीसद हिस्सेदारी के साथ सरकार के पास माइनॉरिटी शेयरहोल्डर वाले अधिकार रहेंगे।
एटीएफ को जीएसटी में लाने का प्रयास
नागरिक उड्डयन सचिव आर. एन. चौबे ने कहा कि विमान ईंधन एटीएफ को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का मुद्दा वित्त मंत्रलय के समक्ष रखा जाएगा। जनवरी, 2017 के बाद से एटीएफ की कीमतें 40 फीसद तक बढ़ गई हैं। विमानन कंपनियां इसे जीएसटी में शामिल करने की मांग कर रही हैं। चौबे ने कहा कि ऐसा होने से कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिल सकेगा। यात्रियों को भी इससे फायदा होगा।