फोर्टिस ने सिंह बंधुओं से 500 करोड़ रुपये वसूलने की शुरू की प्रक्रिया
मालविंदर मोहन सिंह को पहली अक्टूबर, 2016 से अगले पांच वर्षों के लिए लीड स्ट्रैटेजिक इनीशिएटिव पद पर नियुक्त किया गया था
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड (एफएचएल) ने अपने संस्थापक बंधुओं मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह से करीब 500 करोड़ रुपये वसूलने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी ने बुधवार को कहा कि एक बाहरी जांच में बंधुओं को दिए गए कर्ज में सिस्टम की और विफलता और नियंत्रण के मनमानेपन की बात सामने आई है।
कंपनी ने कहा कि उसने इस वर्ष फरवरी में एक बाहरी कानूनी सलाहकार कंपनी द्वारा जो जांच शुरू की थी, उसकी रिपोर्ट मिल गई है और उसने यह रिपोर्ट पूंजी बाजार नियामक सेबी और गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआइओ) को भी सौंप दी है। इस बीच, मालविंदर सिंह ने कुप्रबंधन या फंड के दुरुपयोग से इन्कार करते हुए कहा कि निहित स्वार्थो से प्रेरित लोग कंपनी के पूर्व प्रमोटरों के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रहे हैं।
एफएचएल ने कहा कि बाहरी जांच एजेंसी लूथरा एंड लूथरा की जांच रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व संस्थापकों को बोर्ड की इजाजत और पर्याप्त जमानत लिए बिना ही कर्ज दिया गया। फोर्टिस ने पूर्व एग्जीक्यूटिव चेयरमैन मालविंदर मोहन सिंह की सितंबर, 2016 में ‘लीड स्ट्रैटेजिक इनीशिएटिव’ पद पर नियुक्ति को भी गलत ठहराया है। कंपनी ने कहा है कि एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में मालविंदर मोहन सिंह को किए गए भुगतान और वर्तमान में उनके अधिकार में कंपनी की किसी भी संपत्ति की वसूली प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
सिंह बंधुओं ने इस वर्ष फरवरी में एफएचएल के निदेशक बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। मालविंदर मोहन सिंह को पहली अक्टूबर, 2016 से अगले पांच वर्षों के लिए लीड स्ट्रैटेजिक इनीशिएटिव पद पर सालाना 12 करोड़ रुपये वेतन-भत्ते पर नियुक्त किया गया था। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए उन्हें छह करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में उन्हें इस भूमिका के लिए पूरा वेतन दिया गया। 1कंपनी ने यह भी कहा कि उसने पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2018) के लिए फंसे कर्जो के एवज में 580 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह प्रावधान उन कर्जो के एवज में है, जिनसे वसूली संदिग्ध है।
संस्थापक सिंह बंधुओं के कार्यकाल में फोर्टिस ने कुछ कंपनियों को करीब 500 करोड़ रुपये कर्ज दिए थे। ये कंपनियां बाद में सिंह बंधुओं के कॉरपोरेट ग्रुप का हिस्सा बन गईं। नियामकों को दी जानकारी में फोर्टिस ने कहा कि इन कर्जो के निस्तारण में स्थापित प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई। इन्हें देने से पहले बोर्ड की इजाजत भी नहीं ली गई।
हालांकि जांच में यह नहीं बताया गया कि कर्जदार कंपनियों ने कर्ज की रकम का इस्तेमाल किस तरह किया। लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि उन कर्जों के एक हिस्से का इस्तेमाल कुछ कंपनियों से मिला कर्ज लौटाने के लिए किया गया। इतना ही नहीं, उन कंपनियों के वर्तमान या पूर्व निदेशकों या संस्थापकों का संबंध फोर्टिस के संस्थापकों से था।