वोडाफोन-आइडिया के मर्जर को डॉट ने दी मंजूरी, लेकिन शर्त के साथ
इस मर्जर प्रक्रिया से कर्ज में डूबी इन दोनों कंपनियों (वोडाफोन एवं आइडिया) को राहत मिलेगी। खासतौर पर निशुल्क वॉइस कॉल के दौर में जब टेलिकॉम कंपनियों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के प्रस्तावित मर्जर को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। इन दोनों कंपनियों के विलय के बाद बनने वाली कंपनी देश की सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर होगी। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों के जरिए सामने आई है।
सूत्र के मुताबिक डॉट ने वोडाफोन-आइडिया के मर्जर को मंजूरी दे दी है। हालांकि उन्हें अंतिम मंजूरियों के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। सूत्र ने आगे बताया कि दूरसंचार विभाग ने आइडिया सेल्युलर से वोडाफोन स्पेक्ट्रम के लिए 39.26 अरब रुपये (3,926 करोड़ रुपये) नकद का भुगतान करने और 33.42 अरब रुपये (3,342 करोड़ रुपये) की बैंक गारंटी देने के लिए कहा है।
दोनों कंपनियों के विलय से क्या होगा?
इन दोनों कंपनियों के विलय (साझा ऑपरेशन्स) से आइडिया और वोडाफोन मिलकर देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर बनकर उभरेंगी, जिसकी कीमत 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर (23 अरब डॉलर), जिसके पास 35 फीसद की बाजार हिस्सेदारी और करीब 430 मिलियन का सब्सक्राइबर्स बेस होगा।
इस मर्जर प्रक्रिया से कर्ज में डूबी इन दोनों कंपनियों (वोडाफोन एवं आइडिया) को राहत मिलेगी। खासतौर पर निशुल्क वॉइस कॉल के दौर में जब टेलिकॉम कंपनियों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है। दोनों कंपनियों पर संयुक्त रूप से लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित कर्ज है।
गौरतलब है कि इस महत्वपूर्ण विलय पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजरें लगी हुई थीं। इसकी कामयाबी से सरकार की 'ईज आफ डुइंग बिजनेस' की नीति को भी बड़ा सहारा मिलने की उम्मीद है। इससे पहले दोनों कंपनियों ने जून तक विलय के पूर्ण होने की उम्मीद जताई थी। लेकिन स्पेक्ट्रम शुल्क को लेकर डीओटी द्वारा कानूनी राय लिए जाने के कारण इसमें देर हो गई।