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निर्यातकों को जल्द GST रिफंड के लिए सीबीआइसी ने निकाला अंतरिम सामाधान

सीबीआइसी ने सभी प्रधान मुख्य आयुक्तों और महानिदेशकों को भेजे आदेश में कहा है कि जिन निर्यातकों के दावे अभी लंबित हैं, उन्होंने जीएसटी रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी भरने में गलती की है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 31 May 2018 10:28 AM (IST)Updated: Thu, 31 May 2018 10:28 AM (IST)

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड की प्रक्रिया अटक जाने से परेशान निर्यातकों की समस्या दूर करने में जुट गयी है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) ने निर्यातकों के रिफंड के दावे की जांच में आ रही दिक्कत दूर करने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की है। माना जा रहा है कि सीबीआइसी के इस कदम से लंबित पड़े जीएसटी रिफंड के निर्यातकों के दावों का त्वरित निपटारा हो सकेगा।

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सीबीआइसी ने सभी प्रधान मुख्य आयुक्तों और महानिदेशकों को भेजे आदेश में कहा है कि जिन निर्यातकों के दावे अभी लंबित हैं, उन्होंने जीएसटी रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी भरने में गलती की है। इसके अलावा कई ऐसे मामले भी हैं, जहां उन्होंने टैक्स का भुगतान कम किया है। मसलन, बहुत से निर्यातकों ने जीएसटीआर-1 में आइजीएसटी की देनदारी अधिक दिखायी है जबकि उन्होंने टैक्स का भुगतान करते समय जीएसटीआर-3बी में कर की देनदारी कम दिखाई और जीएसटी का कम भुगतान किया है। सीबीआइसी का कहना है कि निर्यातकों द्वारा किए गए टैक्स के भुगतान और उनके द्वारा दर्शाई गई देनदारी के दावे में अंतर होने की वजह से ही जीएसटीएन से कस्टम विभाग के सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र ‘कस्टम ईडीआइ सिस्टम’ में रिकॉर्ड ट्रांसफर नहीं हो पाया है। यही वजह है कि निर्यातकों के आइजीएसटी के रिफंड का निपटारा नहीं किया जा सका है।

सीबीआइसी का कहना है कि इस समस्या के निदान के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की जा रही है। इसके तहत निर्यातकों ने वित्त वर्ष 2017-18 में जुलाई से मार्च के दौरान जमा किए गए आइजीएसटी का आंकड़ा अगर गैर-इरादतन गलत लिखा है तो कस्टम विभाग ऐसे निर्यातकों की सूची जीएसटीएन को भेजेगा। इस सूची में स्पष्ट उल्लेख होगा कि कौन से निर्यातकों ने जीएसटीआर-1 में दिखायी गई आइजीएसटी देनदारी की तुलना में आइजीएसटी का भुगतान कम या अधिक किया है। इसके बाद जीएसटीएन उन निर्यातकों को ईमेल भेजकर रिफंड या अतिरिक्त कर देनदारी की सूचना देगा। हालांकि यह अंतरिम व्यवस्था होगी और निर्यातकों को चार्टर्ड एकाउंटेंट से एक सर्टिफिकेट देना होगा। साथ ही रिफंड जारी होने के बाद इसका ऑडिट किया जाएगा।

इस बीच, वित्त मंत्रालय  ने फियो के इस दावे को खारिज किया है कि निर्यातकों के 20 हजार करोड़ रुपये के जीएसटी रिफंड के दावे लंबित पड़े हैं। मंत्रालय  का कहना है कि अब सिर्फ करोड़ रुपये जीएसटी रिफंड के निर्यातकों के दावे ही लंबित हैं। इसमें 7000 करोड़ रुपये आइजीएसटी तथा इतनी ही राशि इनपुट टैक्स क्रेडिट की है। मंत्रालय  का कहना है कि मई में 8000 करोड़ रुपये के जीएसटी रिफंड के दावे मंजूर किए गए।


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