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मूडीज के बाद ICRA और केयर रेटिंग्स ने घटाई यस बैंक की रेटिंग, दो साल के निचले स्तर पर शेयर

यस बैंक का शेयर अगस्त 2018 में 404 रुपये के स्तर से अब तक 62 फीसद तक टूट चुका है। इस दौरान निवेशकों को करीब 56 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। यस बैंक का बाजार पूंजीकरण 908 अरब रुपये से कम होकर 351 अरब रुपये हो चुका है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 12:18 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 12:18 PM (IST)

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। यस बैंक के निवेशकों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। मूडीज की तरफ से रेटिंग में कटौती किए जाने के बाद दो और एजेंसियों की तरफ से रेटिंग घटाए जाने के बाद कंपनी का शेयर दो साल के निचले स्तर पर जा चुका है।

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बुधवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में बैंक का शेयर 8 फीसद तक लुढ़क गया। मूडीज की रेटिंग कटौती के बाद पिछले तीन दिनों में कंपनी का शेयर  करीब 19 फीसद तक टूटते हुए 32 महीनों के निचले स्तर तक जा चुका है।

बैंक के बोर्ड से कई इस्तीफों के बाद पिछले दो हफ्तों में यह स्टॉक 33 फीसद तक टूट चुका है वहीं इस साल में यह करीब 50 फीसद तक फिसल चुका है। जबकि इस दौरान सेंसेक्स में 23 फीसद का उछाल आया है।

बैंक की रेटिंग में कटौती करते हुए आईसीआरए ने कहा कि लगातार हुई इस्तीफों ने बैंक के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठाया है। यस बैंक की लॉन्ग टर्म रेटिंग को निगरानी में रखा है। इसके साथ ही एजेंसी ने बैंक के बासल 3 के एडिशनल टियर 1 बॉन्ड की रेटिंग को एए से घटाकर एए माइनस कर दिया है।

वहीं केयर रेटिंग ने बैंको के सीनियर डेट इंस्ट्रूमेंट्स को केयर एए प्लस से घटाकर एएए कर दिया है।

यस बैंक का शेयर अगस्त 2018 में 404 रुपये के स्तर से अब तक 62 फीसद तक टूट चुका है। इस दौरान निवेशकों को करीब 56 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं यस बैंक का बाजार पूंजीकरण 908 अरब रुपये से कम होकर 351 अरब रुपये हो चुका है।

इससे पहले मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने यस बैंक की फॉरेन करेंसी क्रेडिट रेटिंग को दो प्वाइंट नीचे कर दिया था। बैंक के कई डायरेक्टरों के इस्तीफा देने और RBI के मुताबिक बैंक के खाते में हुए कथित डायवर्जेंस की वजह से उसकी रेटिंग में कमी आई है। रेटिंग की कटौती से बैंक के लिए बाजार से पूंजी जुटाने में मुश्किल हो सकती है। इसके साथ मूडीज ने बैंक के आउटलुक को स्टेबल से घटाकर नेगेटिव कर दिया है।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने एमडीसीईओ और फाउंडर राणा कपूर का कार्यकाल 31 जनवरी 2019 तक सीमित कर दिया है।

आरबीआई ने शुरू की जांच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संकटग्रस्त कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस), दीवान हाउसिंग फाइनैंस (डीएचएफएल), इंडियाबुल्स ग्रुप, सुधीर वालिया प्रोमोटेड फॉर्च्यून फाइनैंशियल सर्विसेज इंडिया और सुरक्षा एआरसी को यस बैंक की तरफ से दिए गए कर्ज की जांच शुरू कर दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई की निगरानी टीम ने इन सभी कंपनियों को दिए गए लोन की मंजूरी के साथ उसके बही खातों की जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही अन्य दस्तावेजों की भी छानबीन की जा रही है।

आरबीआई ने गुरुवार को बैंक को चिट्ठी लिखकर इन सभी कंपनियों को दिए गए लोन के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी।

खबरों के मुताबिक, ‘आईएलएंडएफएस संकट के बीच आरबीआई की यस बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनियों के बीच की पारस्परिकता को देखना चाहता है।’ गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यस बैंक ने आईएलएंडएफएस में 2,600 करोड़ रुपये के कर्ज का खुलासा किया था। इसके साथ ही हाउसिंग फाइनैंस की कंपनियों में बैंक ने अपने कुल कर्ज का 3.2 फीसद दे रखा है जबकि एनबीएफसी में उसके कर्ज की हिस्सेदारी 2.6 फीसद है। 

आईएलएंडएफएस संकट की वजह से बैंकिंग सिस्टम में नकदी की समस्या पनप रही है, जिस पर बैंकिंग और मार्केट रेग्युलेटर इस पर नजर बनाए हुए हैं। इस समूह पर करीब 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

यह भी पढ़ें: मूडीज ने यस बैंक की रेटिंग घटाई, आउटलुक को किया नेगेटिव


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